स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय की शीर्ष वैज्ञानिकों की सूची में अल्मोड़ा के इस संस्थान से जुड़े 3 भारतीय वैज्ञानिक शामिल
स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय, कैलिफ़ोर्निया ने विश्व के शीर्ष 2 प्रतिशत वैज्ञानिकों की सूची जारी की है, जिसमें गोविंद बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान के 3 वैज्ञानिकों शामिल है। ये वैज्ञानिक गोविंद बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. आई.डी. भट्ट, दिवंगत पूर्व निदेशक डॉ. आर.एस. रावल और पूर्व शोध छात्र डॉ. तरुण बेलवाल हैं।
इस उपलब्धि पर संस्थान के वर्तमान निदेशक प्रो. सुनील नौटियाल ने वैज्ञानिकों और उनके परिवारों को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि यह संस्थान और वैज्ञानिकों दोनों के लिए गर्व की बात है। उन्होंने संस्थान परिवार की ओर से इन तीनों को उनकी महत्वपूर्ण उपलब्धियों के लिए बधाई दी।
डॉ. तरुण बेलवाल: न्यू जर्सी में शोधकर्ता
पूर्व शोध छात्र डॉ. तरुण बेलवाल, जिन्होंने संस्थान से शोध कार्य किया है, वर्तमान में न्यू जर्सी के सात सीएनपी संस्थान में रिसर्च डायरेक्टर के पद पर कार्यरत हैं। उनका मुख्य शोध कार्य खाद्य विज्ञान और प्राकृतिक उत्पादों से जुड़ा हुआ है, जिससे उन्हें स्वास्थ्य और पोषण विज्ञान के क्षेत्र में विशेष पहचान मिली है।
डॉ. आर.एस. रावल: योगदान और सम्मान
डॉ. आर.एस. रावल, जिन्होंने कुमाऊँ विश्वविद्यालय से पढ़ाई की और पीएचडी पूरी की, एक यंग साइंटिस्ट के रूप में शुरुआत करते हुए गोविंद बल्लभ पंत संस्थान के निदेशक बने। उनके 151 शोध पत्र प्रकाशित हो चुके हैं और वे कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय परियोजनाओं से जुड़े रहे हैं। उनके काम को जैव-विविधता, हिमालयी पारिस्थितिकी और जलवायु परिवर्तन जैसे क्षेत्रों में विशेष ख्याति मिली है। उन्हें कई पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया, जिनमें आईसीएआरएफआई प्लेटिनम जुबली अवार्ड और उत्तराखंड विज्ञान और प्रौद्योगिकी उत्कृष्टता पुरस्कार शामिल हैं।कोराना संक्रमण की चपेट में आने से अप्रैल 2021 में उनका निधन हो गया था।
डॉ. आई.डी. भट्ट: पर्यावरण और जैव-विविधता के विशेषज्ञ
संस्थान में जैव-विविधता और संरक्षण केंद्र के प्रमुख, डॉ. आई.डी. भट्ट, हिमालयी क्षेत्रों में विभिन्न शोध परियोजनाओं का नेतृत्व कर रहे हैं। उनके द्वारा किए गए कार्यों को विश्वस्तरीय पहचान मिली है। उनके 300 से अधिक शोध पत्र प्रकाशित हो चुके हैं और कई राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय परियोजनाओं का सफल संचालन भी उन्होंने किया है। उन्होंने नेचर क्लाइमेट चेंज जैसी प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में भी अपने शोध पत्र प्रकाशित किए हैं।