अल्मोड़ा: वीपीकेएएस में मोटे अनाजों की उन्नत खेती पर 5 दिवसीय कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम संपन्न
Almora: 5-day farmer training program on improved cultivation of coarse grains concluded in VPKAS
अल्मोड़ा: विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान अल्मोड़ा के प्रयोगात्मक प्रक्षेत्र, हवालबाग में 30 सितम्बर से 4 अक्टूबर तक “मिलेट्स (श्री अन्न /मोटे अनाज) की उन्नत खेती” विषय पर पाँच दिवसीय कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम को कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंध अभिकरण (आत्मा) के वित्तीय वर्ष 2024-25 योजनान्तर्गत परियोजना निदेशक, गोपालगंज (बिहार) द्वारा प्रायोजित किया गया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में बिहार राज्य के गोपालगंज जिले से 30 प्रशिक्षणार्थीयों (जिनमें 23 पुरुष व 02 महिला कृषकों सहित आत्मा परियोजना के 5 प्रखण्ड एवं सहायक तकनीकी प्रबंधकों) द्वारा प्रतिभाग किया ।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान कृषकों को मिलेट्स/ मोटे अनाज (श्री अन्न) (पोषक अनाजों से सम्बंधित विभिन्न पहलुओं (जैसे- उच्च उपजशील प्रजातियों, उन्नत उत्पादन तकनीकी, पोषण सुरक्षा में महत्व, मूल्यवर्धित उत्पाद एवं कटाई उपरांत प्रबंधन आदि) के बारें में व्याख्यानों एवं भ्रमणों के माध्यम से प्रशिक्षण दिया ।
श्री अन्न फसलों के साथ ही किसानों को आय वृद्धि हेतू उन्नत सब्जी उत्पादन एवं संस्थान की अन्य उन्नत तकनीकों के बारे भी में जानकारी दी गई। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के उदघाटन अवसर पर संस्थान के निदेशक डा. लक्ष्मी कान्त द्वारा किसानों को संबोधित किया गया, जिसमें उन्होने श्री अन्न फसलों की पोषण सुरक्षा में महता तथा जलवायु परिवर्तन के दौर में इनकी बढ़ती भूमिका के बारे में बताया। इसके साथ ही उन्होने किसानों को संस्थान द्वारा विकसित मिलेट थ्रेशर व उच्च उपजशील, जल्दी पकने वाली तथा रोग प्रतिरोधक प्रजातियों को अपनाने पर जोर दिया ताकि इन फसलों की बढ़ती हुई माँग को पूरा किया जा सके।
इसके साथ ही फसल सुधार विभाग के अध्यक्ष डा. एन. के. हेड़ाऊ, फसल उत्पादन विभाग के अध्यक्ष डा. बी. एम. पाण्डे तथा फसल सुरक्षा विभाग के अध्यक्ष डा. केके मिश्रा द्वारा भी किसानों को संबोधित किया गया। कार्यक्रम के अन्तिम दिन प्रशिक्षणार्थीयों को प्रमाण पत्र एवं मंडुवा व सब्जी फसलों के उन्नत बीजों का वितरण किया गया। इस अवसर पर किसानों द्वारा भी अपने अनुभव साझा किये गयें। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का समन्वय एवं संचालन डा. महेन्द्र सिंह भिण्डा द्वारा किया गया।