कैची मंदिर के बहाने सरकार से एक सवाल- बदहाल होती ट्रैफिक व्यवस्था का क्या तीर्थ और पर्यटन है कारण!
★ बिगड़ती ट्रैफिक व्यवस्था ने मचाया हाहाकार ★
उत्तराखंड इस समय तीर्थ यात्रियों, पर्यटकों और वाहनों की बेतहाशा भीड़ से जूझ रहा है। धार्मिक आस्था, पर्यटन और सीमित संसाधनों के इस टकराव ने राज्य को एक ऐसे त्रासदीपूर्ण दौर में ला खड़ा किया है जो न व्यापारियों के हित में है, न सरकार की व्यवस्था के बस में। नैनीताल जिले की बात करे तो यातायात व्यवस्था पूरी तरह चरमराई हुई है। सरकार के पास श्रद्धालुओं और सैलानियों को सुविधाजनक यात्रा देने की कोई ठोस नीति नहीं है। वाहन और भीड़ देखकर सरकार खुद उलझन में है। कभी एक रास्ता खोलती है, तो शाम होते-होते दूसरा बंद कर देती है। पूरा सरकारी अमला भ्रम में डूबा नजर आता है।
कैची धाम की भीड़ से हल्द्वानी-अल्मोड़ा मार्ग बना संकट की वजह
★ चार जिलों के लोगों की बढ़ी परेशानी, बनी जान की बाज़ी ★
उत्तराखंड में स्थित प्रसिद्ध कैची धाम में हर साल श्रद्धालुओं की संख्या में भारी इजाफा हो रहा है। खासकर वीकेंड पर तो इस मार्ग पर चलना किसी मुसीबत से कम नहीं रह गया है। भीड़, ट्रैफिक और अव्यवस्थित व्यवस्था का खामियाज़ा केवल पर्यटकों को ही नहीं, बल्कि स्थानीय लोगों को भी भुगतना पड़ रहा है। हल्द्वानी-अल्मोड़ा मोटर मार्ग जो कि कुमाऊं की लाइफलाइन माना जाता है, अब लंबी जाम की कतारों में उलझकर अपनी उपयोगिता खोता नजर आ रहा है।
★ वीकेंड बना संकट काल, मरीजों की जान राम भरोसे ★
हल्द्वानी से अल्मोड़ा, बागेश्वर और पिथौरागढ़ जिलों के अधिकांश ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों तक पहुंचने का मुख्य रास्ता यही है। लेकिन जब वीकेंड पर कैची धाम के श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है तो यह मार्ग पूरी तरह ठप हो जाता है। खासकर जब कोई मरीज गंभीर हालत में एंबुलेंस के जरिए इस मार्ग से सफर कर रहा होता है, तो स्थिति अत्यंत गंभीर हो जाती है। यह सब देखकर लगता है मानो किसी की जान अब केवल राम भरोसे ही टिकी है।
★ ट्रैफिक प्रबंधन में ढिलाई, चार जिलों पर सीधा असर ★
कैची धाम की लोकप्रियता जितनी तेजी से बढ़ रही है, ट्रैफिक प्रबंधन उतना ही ढीला पड़ता जा रहा है। इसका सीधा असर अल्मोड़ा, बागेश्वर, पिथौरागढ़ और नैनीताल जिलों के लाखों लोगों पर पड़ रहा है। इन्हीं रास्तों से रोजाना हजारों लोग अपने कार्यों, जरूरतों और स्वास्थ्य कारणों से आवाजाही करते हैं। लेकिन अब उनके लिए भी यह मार्ग परेशानी का सबब बन चुका है।
★ पार्किंग और शौचालय की किल्लत से परेशान सैलानी ★
पर्यटक प्रदेश का दावा करने वाली सरकार न तो प्रमुख पर्यटन स्थलों पर पार्किंग की समुचित व्यवस्था कर पा रही है, न शौचालय और सफाई की। नैनीताल, मसूरी, ऋषिकेश, चारधाम और कैंची धाम में ट्रैफिक डायवर्जन के नए-नए प्रयोगों ने स्थिति और बदतर कर दी है। प्रशासनिक निर्णयों ने स्थानीय जनता, व्यापारी वर्ग और पर्यटकों की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।
★ कैची धाम मार्ग पर कारोबार चौपट, टैक्सी ऑपरेटर नाराज़ ★
कैची धाम जाने वाले श्रद्धालुओं को भीमताल से शटल टैक्सी के जरिए भेजने का प्रयोग व्यापारियों के लिए सिरदर्द बन गया है। 17 किलोमीटर के दायरे में मौजूद फड़, खोखे, होटल और रेस्टोरेंट्स का धंधा ठप हो गया है। ऊपर से नैनीताल में बाहरी टैक्सियों के प्रवेश पर रोक से टैक्सी चालकों में जबरदस्त आक्रोश है। लेक ब्रिज चुंगी और पार्किंग दरों में इजाफा कर लोगों की जेबें और खाली की जा रही हैं।
★ रोजगार और पर्यटन के बीच फंसी सरकार की नीति ★
उत्तराखंड का पर्यटन सीजन यहां के लाखों लोगों की आजीविका का मुख्य आधार है। लेकिन मौजूदा हालात देखकर लगता है मानो सरकार पर्यटकों को रोकने और स्थानीय लोगों की रोज़ी-रोटी छीनने में जुटी है। पर्यटन बढ़ाने की बात करने वाली सरकार, सुविधाएं देने में फिसड्डी साबित हो रही है।
★ अब वक्त है ठोस एक्शन का! ★
अब जरूरत है कि सरकार हवाई बातों से ऊपर उठे और जमीनी स्तर पर काम करे। सबसे पहले ट्रैफिक को सुचारू बनाने के लिए पार्किंग की व्यवस्था को तेज़ी से पूरा करे। जो बाईपास और सड़कें अधूरी हैं, उन्हें जल्द से जल्द पूर्ण किया जाए। साथ ही पर्यटकों के लिए जगह-जगह शौचालय, पीने के पानी और सफाई जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं। इसके अलावा सरकार को हर प्रमुख पर्यटन स्थल पर सुविधायुक्त हेल्प सेंटर बनवाने चाहिए जहां से पर्यटकों को ऑनलाइन होटल,होमस्टे बुकिंग, वैकल्पिक मार्ग और भीड़ से मुक्त नए पर्यटन स्थलों की जानकारी मिल सके। इससे ना केवल पर्यटकों की यात्रा आसान होगी, साथ ही स्थानीय अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी।
★ समाधान की मांग: कैची धाम के लिए अलग वैकल्पिक मार्ग जरूरी ★
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए यह ज़रूरी हो गया है कि सरकार और प्रशासन कैची धाम के लिए एक अलग वैकल्पिक मार्ग बनाने पर विचार करें। इससे ना केवल श्रद्धालुओं को सुगमता होगी, बल्कि स्थानीय जनता को भी राहत मिलेगी। मरीजों की सुरक्षा और लोगों की सुविधा के लिए यह आज की जरूरत बन चुका है।