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स्याहीदेवी-शीतलाखेत का वनाग्नि प्रबंधन जानने केन्द्रीय वन प्रभाग रुद्रपुर से 28 सदस्यों का दल पहुँचा शीतलाखेत

12:51 PM Jan 31, 2025 IST | editor1
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अल्मोड़ा:: वनाग्नि प्रबंधन के स्याहीदेवी- शीतलाखेत मॉडल के अध्ययन हेतु तराई केंद्रीय वन प्रभाग रुद्रपुर से 28 सदस्यों का दल कल शीतलाखेत पहुंचा। दल में 17 वन कर्मी तथा 11 जनप्रतिनिधि शामिल हुए ।
शीतलाखेत-आगमन पर महिला मंगल दल सल्ला रौतेला के सदस्यों और स्याही देवी विकास मंच शीतलाखेत के सचिव गणेश पाठक ने भ्रमण दल का स्वागत किया।
वनाग्नि प्रबंधन के अध्ययन के पहले चरण में जंगल के दोस्त समिति के सदस्य नरेंद्र बिष्ट द्वारा वन विभाग और जनता के परस्पर सहयोग और तालमेल से पिछले 12 सालों से वनाग्नि से सुरक्षित रखे गए आरक्षित वन क्षेत्र का भ्रमण कराया गया। दल को बताया गया कि चीड़ की पत्तियों के कारण जंगलों में आग नहीं लगती है वरन शत प्रतिशत मामलों में मानवीय लापरवाही से जंगलों में आग आरम्भ होती है। द्वारा बिना पौधरोपण के जंगल विकसित करने की ए एन आर पद्धति, वर्षा जल को भूजल में बदलने में बायोमास की भूमिका, आग को अनियंत्रित होने से रोकने में फायर पट्टी की उपयोगिता की जानकारी दी।
दूसरे सत्र में जंगल के दोस्त समिति के सलाहकार श्री गजेंद्र कुमार पाठक ने पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से स्याहीदेवी- शीतलाखेत मॉडल की जानकारी दी। दल को बताया गया कि प्राकृतिक जल स्रोतों नौले, धारे, गाङ, गधेरों के सूखने, मानव वन्य जीव संघर्ष में लगातार वृद्धि होने तथा क्षेत्र के तापमान में वृद्धि होने का मुख्य कारण जंगलों की आग है।
स्याहीदेवी- शीतलाखेत आरक्षित वन क्षेत्र में जनता और वन विभाग के परस्पर सहयोग से वनाग्नि प्रबंधन किया जाता है जिसके सकारात्मक परिणाम मिले हैं।
दल को यह भी बताया गया कि स्याहीदेवी- शीतलाखेत क्षेत्र के दर्जनों गांवों में 31 मार्च से पूर्व ओण जलाने की कार्रवाई सुरक्षित रूप से समाप्त कर दी जाती है जिस कारण इस क्षेत्र में आग लगने की घटनाओं में कमी आई है।
पूरे कार्यक्रम में वन पंचायत मटीला के सरपंच प्रताप सिंह बिष्ट, चन्दन भंडारी, गोपाल सिंह, प्रताप सिंह, संजय शाह, सुरेन्द्र सिंह जनोटी, हेम पाठक, पुष्पा पाठक, भावना पाठक, कल्पना पाठक, गीता बिष्ट, गंगा भंडारी, दीवान सिंह ढेंला, सल्ला रौतेला के सरपंच पंकज पाठक, नीमा पाठक, प्रिया पाठक, मीना पाठक, संजय सिंह, गौरव कुमार, तनुज कुमार आदि उपस्थित रहे।

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