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अल्मोड़ा   नशे के उन्मूलन और रोजगार को मौलिक अधिकार बनाने की मांग

अल्मोड़ा:: नशे के उन्मूलन और रोजगार को मौलिक अधिकार बनाने की मांग

09:06 PM Feb 03, 2025 IST | editor1
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बसभीड़ा/चौखुटिया ::नशा नहीं रोजगार दो आंदोलन की 41 वीं वर्षगांठ पर तमाम सामाजिक, राजनीतिक संगठनों से जुड़े लोगों ने अपने घर, परिवार, समाज, राज्य और देश को बचाने के लिए नशे की बढ़ती संस्कृति के ख़िलाफ़ एकत्रित होने का आह्वान किया।
इस अवसर पर हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी आंदोलन की शुरुआत करने वाले तथा इससे जुड़े तमाम साथियों व सहयोगियों ने यहां पर एकत्रित होकर कहा कि सरकार से प्राथमिकता के तौर पर नशे के तमाम माध्यमों और स्रोतों पर सख्ती से रोक लगाने तथा रोजगार को मौलिक अधिकार बनाने की मांग की।
आयोजकों ने कहा कि इस वर्ष महात्मा गांधी की पुण्यतिथि के अवसर पर 30 जनवरी से एक राज्यव्यापी नशा विरोधी जन अभियान शुरू हो चुका है जिसके तहत हर तहसील और जिले में तमाम कार्यक्रम किए जा रहे हैं और जनता रोजगार शिक्षा और स्वास्थ्य के सवाल पर जागरुक हो रही है।

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वक्ताओं ने इस अवसर पर कहा कि आज की युवा पीढ़ी नशे की आगोश में आकर बर्बाद होते जा रही है और राज्य और देश की शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार व्यवस्था के अभाव में नशे का दबदबा बढ़ता जा रहा है। इस अवसर पर उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष बहुत नशा नहीं रोजगार दो आंदोलन समिति के पीसी तिवारी ने कहा कि आज से 41 वर्ष पूर्व 2 फरवरी 1984 को इसी स्थान पर नशे के खिलाफ एक जन आंदोलन की शुरुआत हुई थी जिसने राज्य और देश को एक दिशा दी और इतिहास में अपनी जगह बनाई। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन अपने दौर में एक सशक्त आंदोलन के रूप में उभरा जिसने समाज में नशे के प्रतिकार के लिए मुखर आवाज उठाई उन्होंने आगे कहा कि यह समाज और राष्ट्र के लिए दुर्भाग्य है कि आज भी हम नशे की जकड़ से मुक्त नहीं हो पाए हैं और वर्तमान समय में नशा हमें नए- नए तरीकों से परोसा जा रहा है उन्होंने कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान राष्ट्रीय पार्टी व क्षेत्रीय पार्टी नशे के बल पर चुनाव जीत रही हैं जिस कारण आज भी समझ में शिक्षा स्वास्थ्य और रोजगार पर बात नहीं हो रही है जिस कारण अनेक हुआ डिप्रेशन की शिकार हो रहे हैं और मौत को गले लगा रहे हैं। उन्होंने तमाम जन संगठनों से इस अभियान के साथ जुड़ने की और एकजुट होने की अपील की। उन्होंने बताया कि प्रदेश भर में यह अभियान चल रहा है इसके बाद अगली रैली और बैठक देहरादून में आयोजित की जाएगी।

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इस मौके पर उत्तराखंड हाई कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता डीके जोशी ने कहा कि वे कई वर्षों से व्यसन मुक्त समाज का सपना लिए काम कर रहे हैं जिसकी प्रेरणा कहीं ना कहीं ऐसे आंदोलन और अभियान हैं जो नशे के खिलाफ संचालित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि समाज व्यसन मुक्त हो सकता है पर उसके लिए सरकार को नीतिगत प्रयास करने होंगे परंतु यह दुर्भाग्य है कि हमारी सरकार उसके लिए विफल होती रही है। उन्होंने कहा कि यदि सरकार चाहे तो हमारा राज्य भी पूरी तरह नशा मुक्त हो सकता है परंतु पिछले कुछ वर्षों से जब भी कोर्ट ने कहा कि नेशनल हाईवे के पास कोई शराब की दुकान नहीं खुलेगी तो उत्तराखंड सरकार ने इस फैसले को धोखा देते हुए सारे नेशनल हाईवे स्थानीय सड़क घोषित कर दिए।
क्षेत्र के 94 वें वर्षीय वरिष्ठ साथी वह भूतपूर्व ब्लॉक प्रमुख नन्दन सिंह मनराल ने कहा कि वे इस आंदोलन के साक्षी रहे हैं और आज समाज को बचाने के लिए नशे को जड़ से उखाड़ना होगा।

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आंदोलन की वर्षगांठ पर क्षेत्र की बुजुर्ग महिलाओं ने अपने विचार रखे और आंदोलनकारी राधा देवी और कमला देवी ने आंदोलन के दौरान अपने अनुभव साझा किए और आम जनमानस से आंदोलन और अभियान से जुड़कर नशे को खत्म करने की प्रयास करने की अपील की।

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उपपा के महासचिव नरेश नौडियाल ने कहा कि नशा पूरे समाज और राज्य का बड़ा संकट है इसके लिए पूरे राज्य और समाज में एक बड़ा जन अभियान चलाने की आवश्यकता है और उसके लिए प्रयास जारी हैं उन्होंने कहा कि देश में युवाओं को नशे में भटकाकर सरकार लगातार ऐसी नीतियां बना रही है जिसके कारण देश का भविष्य संकट में है और पहाड़ की जल जंगल जमीन पर माफिया राज कायम हो रहा है जो काफी चिंता का विषय है।

इस मौके पर एडवोकेट नारायण राम, दया कृष्ण कांडपाल, गोदी आंदोलन से जुड़े भुवन, नगर पंचायत चौखुटिया का चुनाव लड़ी अनीता गोस्वामी, दीपा तिवारी, दृष्टिहीन संघ के जगदीश ममगई, भारती पांडे आदि ने अपने विचार साझा किए। इस दौरान क्षेत्र की जनता और आंदोलनकारी तथा अनेक सामाजिक और राजनीतिक संगठन इस मौके पर उपस्थित रहे और सभी ने नशे के खिलाफ एक राज्यव्यापी अभियान चलाने पर अपनी सहमति जताई। इस कार्यक्रम में पवन तिवारी, ममता बिष्ट, ममता जोशी, आलोक पाठक, किरन आर्या, सौरभ तिवारी समेत अनेक लोग उपस्थित रहे।
यहां उपस्थित लोगों ने आज से 41 वर्ष पूर्व शुरू हुए नशा विरोधी नारों, नशे का प्रतिकार ना होगा, पर्वत का उदाहरण होगा, जो नशा करता है वह परिवार का दुश्मन है, जो नशा बेचता है वह समाज का दुश्मन है, जो नशा बिकवाता है वह देश का दुश्मन है के साथ कार्यक्रम को गति दी और गिर्दा की जन गीतों को गाया।

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