अल्मोड़ा: मटीला के चंदन ने गेंदा को बनाया आर्थिकी का जरिया,दीपाली पर करते हैं अच्छा व्यवसाय
Almora: Matila's Chandan made marigold a source of economy, they do good business on Diwali.
अल्मोड़ा: अल्मोड़ा के शीतलाखेत के चंदन सिंह भंडारी ने गेंदा के फूल को आर्थिकी उन्नयन का साधन बनाकर मिसाल पेश की है।
वह बहुत बड़ा ना सही दीपावली के मौके पर ठीक ठाक व्यवसाय कर लेते हैं। उनका यह कदम क्षेत्र के लोगों के लिए एक नहीं उम्मीद और राह प्रसस्त कर रहा है।
दीपावली पर्व पर सभी लोग अपने अपने घरों, पूजा स्थान को मालाओं से सजाते हैँ, पूरे देश में प्लास्टिक के फूलों, प्लास्टिक की फूल मालाओं का करोड़ों रूपये का कारोबार होता है और कुछ समय बाद बाद ये कूड़े के ढेरों पर दिखाई देती हैं एक तरह से प्रदूषण को बढ़ाती हैं।
हालांकि यह माना जाता है कि लोग असली फूलों की माला खरीदकर घर सजाने में ज्यादा दिलचस्पी लेंगे मगर इस समय बाजार में असली फूल बहुत कम है।
यह बताना दीगर है कि पहाड़ी इलाकों की आबोहवा, मिट्टी फूलों के उत्पादन के लिए बहुत अच्छी है यदि दीपावली त्यौहार को लक्ष्य बनाकर फूलों की खेती हो विशेषकर गेंदा फूल की तो यह अतिरिक्त आमदनी का एक जरिया बन सकता है ।
बताते चलें कि इसी विचार के साथ 2021 में Plus Approach Foundation ने शीतलाखेत के निकट मटीला गांव के लगभग 200 परिवारों को गेंदा फूलों के बीज वितरित किये।
फूलों की खेती आरम्भ करने के पीछे एक सोच और थी वो थी बन्दर, सुवर,लंगूर के हमलों से परंपरागत खेती, बागवानी से विमुख होते पर्वतीय किसानों से ऐसी फसलों के उत्पादन के लिए प्रेरित करना जिसमें वन्य जीवों का नुकसान कम हो।
इसके बाद मटीला गांव के कुछ किसानों ने प्लस एप्रोच फाउंडेशन, नई दिल्ली की इस सकारात्मक सोच को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया उनमे से एक हैँ प्रगतिशील किसान चन्दन सिंह भंडारी (Chandan Singh Bhandari) जो फल, सब्ज़ी का काम करने के अलावा पिछले तीन सालों से हर साल दीपावली में हज़ारों रूपये के गेंदा फूल बाजार में बेचकर अतिरिक्त आमदनी ले रहे हैं।
पलायन, बेरोजगारी वन्य जीवों के आतंक जैसी समस्यायों से जूझ रहे पर्वतीय समाज को चन्दन सिंह भंडारी जैसी सोच रखने वाले और किसानों की जरुरत है।