अल्मोड़ा। सामाजिक कार्यकर्ता कुणाल तिवारी की प्रथम पुण्यतिथि के अवसर पर आज उनके काव्य संग्रह "आजाद था, आजाद हूँ, आजाद रहूंगा" का लोकार्पण किया गया। पुस्तक का विमोचन प्रसिद्ध साहित्यकार कपिलेश भोज ने किया।कार्यक्रम का संचालन कर रहे दयाकृष्ण काण्डपाल ने कहा कि वर्तमान में प्रतिभाशाली युवा नशे और बेरोजगारी के कारण संकट का सामना कर रहे हैं। कुणाल तिवारी ने साइक्लिंग के माध्यम से अल्मोड़ा के युवाओं को अपने साथ जोड़ने का प्रयास किया, लेकिन बेरोजगारी ने उन्हें डिप्रेशन का शिकार बना दिया।काव्य संग्रह का विमोचन करते हुए साहित्यकार कपिलेश भोज ने कहा कि कुणाल तिवारी की कविताएं युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। उन्होंने कहा कि आज का समाजिक वातावरण ऐसा हो गया है कि युवा या तो बेरोजगारी की चपेट में हैं या पूंजीवाद के प्रभाव में फंसकर सामाजिक सरोकारों से दूर होते जा रहे हैं। पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष एड. जगत रौतेला ने कहा कि कुणाल तिवारी अकेले नहीं थे जो डिप्रेशन का शिकार हुए; पढ़ाई के बाद जब युवाओं को रोजगार नहीं मिलता, तो वे भी इसी स्थिति में आ जाते हैं। उन्होंने शिक्षा और सामाजिक व्यवस्था को रोजगार के महत्व को प्राथमिकता देने की आवश्यकता पर बल दिया।अजेयमित्र सिंह बिष्ट ने कहा कि कुणाल तिवारी ने अपने साइक्लिंग अभियान के माध्यम से युवाओं को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए रेवती बिष्ट ने कुणाल तिवारी को श्रद्धांजलि अर्पित की। सभा में डा. ललित जलाल, संदीप सिंह नयाल, जंगबहादुर थापा, बिशन दत्त जोशी, अभिषेक तिवारी, नीरज भट्ट, अजय सिंह मेहता, योगेश बोरा, पूजा तिवारी, निर्मला तिवारी सहित अन्य लोगों ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम की अध्यक्षता रेवती बिष्ट ने की। कार्यक्रम के अंत में कुणाल तिवारी के भाई गौरव तिवारी ने सभी उपस्थित लोगों का आभार व्यक्त किया और युवा संवाद को आगे बढ़ाने की अपील की।