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अल्मोड़ा:: उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (यू कास्ट) और अगस्त्या इंटरनेशनल फाउंडेशन के संयुक्त प्रयास से राजकीय इंटर कॉलेज अल्मोड़ा में 3 और 4 सितंबर 2024 को दो दिवसीय विज्ञान शिक्षक प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया।
इस कार्यशाला में अल्मोड़ा जिले के पांच ब्लॉकों से 35 विज्ञान अध्यापकों ने भाग लिया।
कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य शिक्षकों को विज्ञान शिक्षण में नवीनतम तकनीकों और टीचिंग लर्निंग मटेरियल्स (टीएलएम) के उपयोग के बारे में प्रशिक्षित करना था।
कार्यशाला में विज्ञान को कक्षा में अधिक प्रभावी और रोचक बनाने के लिए प्रतिभागियों को विभिन्न प्रकार की विज्ञान गतिविधियों और प्रयोगों से परिचित कराया गया।
प्रशिक्षकों ने विशेष रूप से जोर दिया कि किस प्रकार विज्ञान की जटिल अवधारणाओं को सरल और सजीव तरीके से विद्यार्थियों के समक्ष प्रस्तुत किया जा सकता है, जिससे उनका रुचि और समझ में इजाफा हो सके।
इस अवसर पर कार्यशाला में प्रमुख अतिथि के रूप में उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी डॉ. नवीन चंद्र जोशी उपस्थित रहे।
उन्होंने विज्ञान शिक्षा में नवाचार और प्रयोगात्मक शिक्षा के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा, "आज के युग में विज्ञान शिक्षा को केवल पाठ्यपुस्तकों तक सीमित रखना पर्याप्त नहीं है। हमें प्रयोगात्मक शिक्षण के माध्यम से विद्यार्थियों को विज्ञान की वास्तविकता से जोड़ना होगा, जिससे वे न केवल सैद्धांतिक ज्ञान प्राप्त करें बल्कि उसे व्यावहारिक रूप में भी समझ सकें।" डॉ जोशी ने उत्तराखण्ड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद् (यूकॉस्ट) द्वारा विद्यार्थियों एवं में आम जनमानस में विज्ञान के प्रचार प्रसार हेतु किया जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों एवं योजनाओं से सभी विज्ञान के प्राध्यापकों को अवगत कराया एवं सभी को मानसखण्ड विज्ञान केंद्र, अल्मोड़ा भ्रमण हेतु आमंत्रित किया।
कार्यशाला में राजकीय इण्टर कॉलेज के प्रधानाचार्य राजेश बिष्ट ने भी अपने विचार रखे और उन्होंने शिक्षकों को इस प्रकार की कार्यशालाओं में सक्रिय भागीदारी के लिए प्रेरित किया। उन्होंने यूकॉस्ट का धन्यवाद दिया और कहा की ऐसे कार्यशालों का आयोजन निरंतर होना चाहिए।
अगस्त्या इंटरनेशनल फाउंडेशन की टीम से क्षेत्रीय प्रभारी, दयाशंकर, आईएमटी अशोक कुमार, सीनियर प्रशिक्षक शंकर शर्मा, प्रशिक्षक योगेश कुमार, और आंचल गोस्वामी ने भी कार्यशाला में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। इन विशेषज्ञों ने अध्यापकों को विज्ञान शिक्षण के विभिन्न पहलुओं से अवगत कराया और उनके प्रश्नों का समाधान भी किया।
कार्यशाला के अंत में सभी प्रतिभागियों ने आयोजकों और प्रशिक्षकों का आभार व्यक्त किया और भविष्य में भी इस प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रमों के आयोजन की अपेक्षा की। उन्होंने इस कार्यशाला को अपने पेशेवर जीवन के लिए अत्यंत लाभकारी बताया और कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रमों से न केवल उनके शिक्षण कौशल में सुधार होता है, बल्कि वे अपने विद्यार्थियों के लिए भी एक बेहतर शैक्षिक अनुभव प्रदान कर सकते हैं।