अल्मोड़ा- विरासतों की स्मृतियां सजीव होती हैं इनसे विकास के सार्वभौम्य विकास की जानकारिया मिलने के साथ ही पुरखों की स्मृतियां भी ताजा हो जाती हैं, विरासतों को सहेजने के एक अभियान को लेकर गांव गांव सर्वेक्षण कर रहे पुरातत्व विभाग को सिलोर घाटी यानि चौखुटिया से मछोड़ के बीच अबतक का पहला चंदवंशीय ताम्र पत्र मिला है| इस बीच टीम को दो ताम्रपत्र मिले हैं| इससे पूर्व अल्मोड़ा जिले के स्याल्दे में कत्यूरी शासन काल की आधा किलोमीटर लंबी सुरंग मिली है| सुरंग एड़ीकोट से खतरौन नदी तक है|माना जा रहा है कि सुरंग सैनिकों को छिपने के लिए बनी होगी। क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी चन्द्र सिंह चौहान ने बताया कि इसके साथ ही एड़ोकोट में बने मकान भी खण्डर हो रहे है| जिसके संरक्षण के लिए क्षेत्रीय पुरातत्व विभाग ने भारतीय पुरातत्व विभाग को भेज दिया है। क्षेत्रीय पुरातत्व विभाग की टीम को स्याल्दे ब्लाक के तिमली गांव में दो महत्वपूर्ण ताम्रपत्र मिले हैं। इनमें एक ताम्रपत्र चंद शासक रुद्रचंद के शासनकाल का 451 साल पुराना है, जबकि दूसरा राजा बाज बहादुर चंद के काल में जारी 353 साल पुराना है। बताते चलें कि पुरातत्व विभाग के विशेषज्ञों का दल कई दिन से क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी डॉ. चंद्र सिंह चौहान के नेतृत्व में भिकियासैंण तहसील के अंतर्गत सभी गांवों में प्राचीन अभिलेखों, ताम्रपत्रों, मंदिरों सहित अन्य पुरावशेषों के बारे में सर्वेक्षण कर रहा है। चौहान ने बताया कि टीम गांव गांव सर्वेक्षण अभियान चला रही है जो आगे भी जारी रहेगा|उन्होंने बताया कि टीम को दूरस्थ तिमली गांव में लक्ष्मण सिंह बिष्ट के पास चंदवंशीय बाज बहादुर चंद का शाके 1588 (सन् 1666) का ताम्रपत्र मिला है। बताया कि राजा बाज बहादुर चंद ने यह ताम्रपत्रबिष्ट परिवार के तत्कालीन स्व. उदा बिष्ट को जारी किया था। जिसमें जमीन देने की घोषणा की गई है| इधर पुरातत्व विभाग की टीम को एक और प्राचीन ताम्रपत्र केदार गांव के महेश चंद्र डुंगरियाल के पास मिला है।श्री चौहान ने लोगों से टीम को सहयोग करने व प्राचीन विरासतों की जानकारी देने की अपील की है|फोटो- स्याल्दे में मिली प्राचीन गुफा