Massive Blow to AAP in Delhi! Seven MLAs Resign in a Single Day, BJP and Congressदिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले AAP को बड़ा झटका, एक दिन में सात विधायकों ने दिया इस्तीफादिल्ली विधानसभा चुनाव से महज कुछ दिन पहले आम आदमी पार्टी (AAP) में बड़ा सियासी भूचाल आ गया है। शुक्रवार को AAP के सात विधायकों ने एक साथ पार्टी छोड़ने का ऐलान कर दिया, जिससे राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। इस्तीफा देने वाले विधायकों ने पार्टी पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए, जबकि आम आदमी पार्टी ने इसे बीजेपी और कांग्रेस की साजिश करार दिया।कौन-कौन विधायकों ने दिया इस्तीफा?शुक्रवार को सबसे पहले महरौली विधायक नरेश यादव ने इस्तीफा दिया। इसके बाद जनकपुरी विधायक राजेश ऋषि, त्रिलोकपुरी विधायक रोहित कुमार मेहरौलिया,कस्तूरबा नगर विधायक मदन लाल, पालम विधायक भावना गौड़,आदर्श नगर विधायक पवन कुमार शर्मा और बिजवासन विधायक भूपेंद्र सिंह जून ने भी पार्टी छोड़ दी। चर्चा यह भी है कि एक और विधायक जल्द ही अपना इस्तीफा दे सकते हैं।बीजेपी ने AAP पर साधा निशानाAAP के विधायकों के इस्तीफे पर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि "आम आदमी पार्टी बिखरने लगी है। बात केवल विधायकों के इस्तीफे की नहीं, बल्कि इस बात की है कि उन्होंने क्यों इस्तीफा दिया। पार्टी के अंदर के लोग ही अब अरविंद केजरीवाल से नाराज हैं और खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। उन्हें अब AAP पर भरोसा नहीं रह गया है।"कांग्रेस ने भी किया AAP पर हमलाAAP के भीतर जारी उथल-पुथल पर दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने भी तंज कसा। उन्होंने कहा कि "केजरीवाल की पार्टी अंदर से खोखली हो चुकी है, यह इस्तीफे उनकी हार का संकेत हैं।" यादव ने दावा किया कि आगामी चुनाव में अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, आतिशी जैसे बड़े नेता हार का सामना करेंगे।उन्होंने आप सरकार पर शराब घोटाला, शीश महल में करोड़ों का घोटाला, डीटीसी, दिल्ली जल बोर्ड, शिक्षा, स्वास्थ्य, पीडब्ल्यूडी, यमुना और प्रदूषण से जुड़े घोटालों के आरोप लगाए।आम आदमी पार्टी की सफाईAAP ने इन सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि"इन विधायकों को टिकट नहीं मिला, इसलिए उन्होंने पार्टी छोड़ी। बीजेपी और कांग्रेस ने इन्हें अपने पाले में करने के लिए दबाव डाला।" AAP की आगे की रणनीतिदिल्ली में 5 फरवरी को मतदान होना है, और इससे पहले विधायकों के इस्तीफे ने आम आदमी पार्टी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि AAP इस संकट से कैसे निपटती है और क्या जनता इस मुद्दे को चुनाव में अहमियत देगी।