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पंचायत चुनावों में देरी और अध्यक्षों के परोक्ष चुनाव जनता के अधिकारों को छीन रही है सरकार  उपपा का आरोप

पंचायत चुनावों में देरी और अध्यक्षों के परोक्ष चुनाव जनता के अधिकारों को छीन रही है सरकार, उपपा का आरोप

12:59 PM Jun 10, 2025 IST | editor1
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हल्द्वानी। उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी ने प्रदेश सरकार द्वारा पंचायत चुनाव बार- बार टालने और प्रशासकों के हवाले करने की निंदा की है।

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हल्द्वानी में पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष पीसी तिवारी एवं हल्द्वानी महानगर के मुख्य संयोजक अशोक डालाकोटी ने एक संयुक्त बयान में कहा कि प्रशासकों की नियुक्ति का फैसला कर यह यह सिद्ध कर दिया है कि वह जनता की चुनी हुई संस्थाओं को मजबूत करने के बजाय, उन्हें कमजोर करने में लगी है।

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उपपा ने कहा कि हम यह साफ कहना चाहते हैं कि पंचायत व्यवस्था– ग्राम, क्षेत्र और जिला स्तर पर प्रत्यक्ष लोकतंत्र का आधार है यदि इन संस्थाओं की ईमानदारी से लोकतंत्र में आने की व्यवस्था नहीं की गई और जिला पंचायत अध्यक्षों वह क्षेत्र प्रमुखों की यह अप्रत्यक्ष चुनाव की व्यवस्था जारी रही तो समझा जाएगा कि भाजपा की डबल इंजन सरकार भी जानबूझ कर घर- घर और गांव गांव को भ्रष्टाचार मे डुबोने में लगी है।

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उपपा नेताओं ने आरोप लगाया प्रदेश के पंचायती राज मंत्री सतपाल महाराज वर्षों से जिला पंचायत प्रमुख का चुनाव सीधे जनता से कराने की मांग कर रहे हैं लेकिन अब सरकार की चुप्पी ही पंचायत मंत्री पर सवाल खड़े कर रही है जिसको लेकर मंत्री को अपना आधिकारिक बयान जारी करना चाहिए।


तिवारी ने कहा कि 'हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी न केवल समयबद्ध पंचायत चुनाव की मांग करती है, बल्कि यह भी मानती है कि जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख जैसे महत्वपूर्ण पदों का चुनाव सीधे जनता द्वारा होना चाहिए। तभी ईमानदार, ज़िम्मेदार और विकासशील नेतृत्व पंचायतों में आएगा। मौजूदा परोक्ष प्रणाली ने केवल जोड़तोड़, सौदेबाज़ी और भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया है।'

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कहा कि सरकार पंचायतों की स्वायत्तता को खत्म कर रही है, और जनता को केवल दर्शक बनाकर रख देना चाहती है। बार -बार चुनाव टालने और प्रशासकों की नियुक्ति कर यह सरकार लोकतंत्र को नौकरशाही के हवाले कर रही है।

यह न सिर्फ संविधान की भावना के खिलाफ है, बल्कि उत्तराखंड की जनता के अधिकारों का खुला अपमान है।


उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी राज्य की जनता से आह्वान करती है कि इस अलोकतांत्रिक और जनविरोधी रवैये का एकजुट होकर विरोध करें।

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