उत्तराखंड में हर 8 घंटे में सड़क दुर्घटना में जाती है एक की जान
देहरादून। उत्तराखंड में सड़क दुर्घटनाओं के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। हाल ही में एक दर्दनाक सड़क दुर्घटना में 36 लोगों की मौत होना अत्यंत हृदय विदारक है। राज्य में हर साल औसतन करीब 1,000 लोग सड़क दुर्घटनाओं में अपनी जान गंवाते हैं। इसका अर्थ है कि हमारे राज्य में औसतन हर आठ घंटे में एक व्यक्ति सड़क दुर्घटना का शिकार होकर अपनी जान गंवाता है। इसके अलावा, सड़क दुर्घटनाओं में घायल होने वाले लोगों की संख्या मृतकों से कई गुना अधिक होती है।
उत्तराखंड में सड़क दुर्घटनाओं की गंभीरता की दर, यानी 100 दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों की संख्या, राष्ट्रीय औसत से काफी अधिक है। उत्तराखंड परिवहन विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, 2018 से 2022 तक की अवधि में दुर्घटना गंभीरता दर 2018 में 71.3 के उच्चतम स्तर से घटकर 2021 में 58.36 के निम्नतम स्तर पर पहुंची। यह तथ्य चिंता का विषय है कि राज्य में दुर्घटनाओं की गंभीरता दर राष्ट्रीय औसत से दोगुनी है।
दुर्भाग्य से, न तो भाजपा और न ही कांग्रेस, किसी भी राज्य सरकार ने सड़क सुरक्षा के इस गंभीर मुद्दे को प्राथमिकता दी है। हाल ही में अल्मोड़ा दुर्घटना के बाद निचले स्तर के अधिकारियों को निलंबित करने का निर्णय केवल तत्काल प्रतिक्रिया देने और सुर्खियों में बने रहने का प्रयास लगता है। सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्युनिटीज फाउंडेशन, देहरादून के संस्थापक अनूप नौटियाल का मानना है कि जब तक राज्य सरकार और संबंधित विभाग "4E" के सिद्धांतों - इंजीनियरिंग, इमरजेंसी केयर, एनफोर्समेंट और एजुकेशन - पर ठोस और निरंतर कार्य नहीं करते, तब तक जान-माल का नुकसान होता रहेगा।
सड़क सुरक्षा के प्रति नागरिकों, ड्राइवरों और पर्यटकों में जागरूकता फैलाना बेहद आवश्यक है। सड़क सुरक्षा की संस्कृति विकसित करना एक सामूहिक प्रयास है, यह जिम्मेदारी सिर्फ पुलिस की नहीं, बल्कि समाज के हर व्यक्ति की है।