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उत्तराखंड के पिथौरागढ़ ज़िले में जंगल की आग बेक़ाबू होती जा रही है। ज़िले में अब तक आग लगने की 111 घटनाएँ हो चुकी हैं जिनमें 167 हेक्टेयर से ज़्यादा वन क्षेत्र जलकर खाक हो गया है। आग से चार लाख रुपये से ज़्यादा का नुक़सान होने का अनुमान है। आग से बचने के लिए जंगली जानवर रिहायशी इलाक़ों की ओर भाग रहे हैं।
गौरतलब हो, ज़िले में सिविल और पंचायती वन क्षेत्रों में आग लगने की 74 घटनाएँ हुई हैं जिनमें 115 हेक्टेयर से ज़्यादा वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है। वहीं आरक्षित वन क्षेत्र में आग लगने की 37 घटनाओं में 52 हेक्टेयर के क़रीब वन क्षेत्र जलकर खाक हो गया है। आग की बढ़ती घटनाओं से वन विभाग और ज़िला प्रशासन अलर्ट मोड पर है।
प्रभागीय वनाधिकारी आशुतोष सिंह ने बताया कि आग बुझाने के लिए वन विभाग को पाँच टुकड़ियाँ होमगार्ड और पाँच टुकड़ियाँ पीआरडी जवानों की मिली हैं। साथ ही आपदा प्रबंधन विभाग ने एक वाहन उपलब्ध कराया है और एक त्वरित प्रतिक्रिया दल (इंसीटेंट रिस्पांस टीम) का भी गठन किया गया है।
बता दे, ज़िला प्रशासन ने एक हफ़्ते के लिए कूड़ा-कचरा और पराली जलाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके बावजूद आग की घटनाएँ थमने का नाम नहीं ले रही हैं। रविवार रात टकाड़ी के जंगल में भीषण आग लग गई जो महाकाल के जंगल तक पहुँच गई। वन विभाग की टीम ने बड़ी मुश्किल से आग पर क़ाबू पाया।
अस्कोट क्षेत्र के खोलिया गाँव के धुराचौर में रहने वाली सरस्वती देवी के घर के पास भी आग लग गई। आग से उनके घर के पास रखे घास के दो ढेर जलकर खाक हो गए। परिजनों ने बड़ी मुश्किल से आग पर क़ाबू पाया। वन क्षेत्राधिकारी बालम सिंह अलमिया ने बताया कि पीड़ित परिवार को आपदा राहत के तहत मुआवज़ा दिया जाएगा। रविवार रात पिथौरागढ़ शहर से सटे टकाड़ी के जंगल में लगी आग के कारण शहर में धुआँ और राख फैल गया। सोमवार सुबह राजकीय इंटर कॉलेज और सरस्वती विहार कॉलोनी के घरों की छतों और बरामदों में राख ही राख नज़र आई।