शिशु मंदिर अल्मोड़ा की हर्षिता की उड़ान को लगें पंख, विद्या ज्ञान सीतापुर में पूरी पढ़ाई होगी फ्री
छोटे से गांव से निकलकर बड़े सपनों की ओर बढ़ती एक बेटी की कहानी आज सभी को प्रेरणा दे रही है। सरस्वती शिशु मंदिर जीवनधाम, अल्मोड़ा की छात्रा हर्षिता सिजवाली ने वो कर दिखाया है, जो हर बच्चे का सपना होता है। विद्या ज्ञान स्कूल, सीतापुर में चयन पाकर उसने अपने उज्ज्वल भविष्य की नींव रख दी है। अब हर्षिता कक्षा 6 से 12वीं तक की पढ़ाई पूरी तरह निशुल्क इसी स्कूल से करेगी और उसका पूरा खर्च शिव नादर फाउंडेशन उठाएगा।हर्षिता ने विद्या ज्ञान में एडमीशन भी ले लिया है।
हर्षिता की इस उपलब्धि पर सरस्वती शिशु मंदिर जीवनधाम की प्रबंध समिति के व्यवस्थापक सतीश गुप्ता,अध्यक्ष के0सी जोशी,प्रधानाचार्य पूनम जोशी,स्कूल के अध्यापकों,अभिवावकों ने खुशी जताते हुए हर्षिता के उज्जवल भविष्य के लिए अपनी शुभकामनांए दी है।
साधारण परिवार से है असाधारण बेटी
हर्षिता के पिता भगवान सिंह सिजवाली प्राइवेट नौकरी करते हैं और मां बीना सिजवाली गृहिणी हैं। सीमित संसाधनों के बीच हर्षिता की लगन, मेहनत और आत्मविश्वास ने उसे वो मौका दिलाया है, जो लाखों बच्चों को नहीं मिल पाता।
नव निर्माण समिति और विद्या ज्ञान की साझी पहल ने बदली जिंदगी
ढूंगाधारा की नव निर्माण समिति की पहल पर पिछले कुछ वर्षों से एक खास एग्जाम का आयोजन किया जा रहा है। इसमें गांवों के होनहार बच्चों को विद्या ज्ञान जैसे प्रतिष्ठित स्कूल तक पहुंचने का मौका मिलता है।
कॉर्डिनेटर अंकुर प्रताप सिंह बताते हैं कि पहले बच्चों की लिखित परीक्षा होती है, फिर सीतापुर में इंटरव्यू लिया जाता है। इसके बाद मेडिकल और फिटनेस टेस्ट होता है। ये सभी पड़ाव पार करने के बाद बच्चों को विद्या ज्ञान में कक्षा 6 से 12वीं तक फ्री रेजिडेंशियल एजुकेशन दी जाती है। हर साल सितंबर में शुरू होती है फार्म भरने की प्रक्रिया विद्या ज्ञान में एडमिशन की प्रक्रिया हर साल सितंबर में शुरू होती है।
दिसंबर में लिखित परीक्षा होती है।पिछले साल 165 बच्चों ने यह फार्म भरा था, लेकिन चयन कुछ गिने-चुने होनहार बच्चों का ही होता है। यह स्कूल शहरी क्षेत्र के उन बच्चों को मौका देता है जिनके अभिभावकों की सालाना आय 2 लाख रुपए तक है,जबकि ग्रामीण क्षेत्र के लिए यह सीमा 1 लाख रुपए रखी गई है।
एचसीएल टेक्नोलॉजीज़ के संस्थापक शिव नादर ने विद्या ज्ञान की शुरुआत इस सोच के साथ की थी कि प्रतिभा सिर्फ शहरों में नहीं होती, गांवों में भी छुपे हीरे होते हैं। जरूरत है उन्हें तराशने और मंच देने की – और हर्षिता की कहानी इसका सबसे सुंदर उदाहरण है।
एक बेटी की जीत, पूरे अल्मोड़ा की प्रेरणा
हर्षिता का चयन सिर्फ उसके परिवार के लिए नहीं, बल्कि पूरे अल्मोड़ा और कुमाऊं क्षेत्र के बच्चों के लिए एक मिसाल है। ये कहानी बताती है कि अगर इरादे मजबूत हों, तो साधनों की कमी भी रास्ता नहीं रोक सकती।
शिव नादर फाउंडेशन – गांवों से लीडर गढ़ने का सपना
एचसीएल टेक्नोलॉजीज़ के संस्थापक शिव नादर ने विद्या ज्ञान की शुरुआत इस सोच के साथ की थी कि प्रतिभा सिर्फ शहरों में नहीं होती, गांवों में भी छुपे हीरे होते हैं। जरूरत है उन्हें तराशने और मंच देने की – और हर्षिता की कहानी इसका सबसे सुंदर उदाहरण है।