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उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भावुक कर देने वाला वीडियो वायरल हो रहा है। आरोप है कि यहां के केजीएमयू अस्पताल में मरीज डॉक्टरों से इलाज की गुहार लगाता रहा।
लेकिन किसी का दिल न पसीजा आखिर में उस शख्स की मौत हो गई। जिससे नाराज परिजनों ने अस्पताल में जमकर हंगामा काटा।
आरोप है कि डॉक्टरों ने मरीज को वेंटिलेटर नहीं दिया जिससे उसकी मौत हो गई। वहीं केजीएमयू प्रशासन का कहना है कि हार्ट फेल होने के बाद मरीज को लाया गया था। उसको वेंटिलेटर की जरुरत थी पर खाली न होने से रेफर कर दिया गया। इस दौरान मरीज की मौत हो गई।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दुबग्गा छंदोईया निवासी सैफ के मुताबिक पिता अबरार अहमद का 2018 से ही इलाज चल रहा था। रविवार रात लगभग साढ़े बारह बजे उन्हें सीने में तेज दर्द हुआ। वह खुद ही मोटरसाइकिल से छोटे भाई को लेकर हॉस्पिटल के कार्डियोलॉजी विभाग पहुंचे। वहां सीने में तेज दर्द को कम करने के लिए डॉ नीरज कुमार के कहने पर तीन से चार इंजेक्शन लगाए गए। आरोप है कि इंजेक्शन लगने के कुछ देर बाद ही उनकी नाक और मुंह से खून निकलने लगा।
इसके बाद खुद ही पिता ने डॉक्टर से हाथ जोड़कर अपनी जान बचाने की गुहार लगाई,लेकिन डॉक्टरों को उनपर तरस नहीं आया। वहां मौजूद परिजनों ने भी डॉक्टरों से इलाज की गुहार लगाई। डॉक्टरों से गुहार लगाने वाला वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है।बेटे सैफ का आरोप है कि डॉक्टरों ने कह दिया यह अधिक शोर कर रहे हैं, इनके मरीज को नही देखा जाएगा। उनकी सांसे थम गई, डॉक्टरों ने उन्हें देखा और बताया कि मौत हो गई। यहां से लेकर जाओ। सैफ ने बताया कि वजीरगंज थाने में डॉक्टर नीरज कुमार के खिलाफ लिखित शिकायत कर कार्रवाई करने की मांग की है।
वहीं केजीएमयू प्रवक्ता डॉ सुधीर सिंह का कहना है कि मरीज को साल 2018 में कोरोनरी आर्टरी डिजीज की पुष्टि थी।इस पर एंजियोप्लास्टी कराई थी। इसके बाद डॉक्टर समय समय पर इलाज के लिए बुलाया, लेकिन ओपीडी में फॉलोअप के लिए नही आए।
तबितय बिगड़ने पर गंभीर अवस्था में इमरजेंसी में लाया गया था, जहां डॉक्टरों ने फौरन भर्ती करके ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा। जरुरी जांच कराई गई। डॉक्टरों ने जान बचाने के लिए जरुरी दवाएं दी थी। ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया। उनकी हालत गंभीर थी। हार्ट फेल था। सांस लेने में तकलीफ थी। डॉक्टरों ने वेटिलेटर की जरुरत बताई। विभाग में आईसीयू वेंटिलेटर सभी बेड फुल थे। इसलिए तुंरत पीजीआई व लोहिया संस्थान ले जाने की सलाह दी गई। केजीएमयू से एंबुलेंस भी उपलब्ध कराई गई थी,लेकिन मरीज को बचाया नहीं जा सका।