तुर्की के ब्रांड्स पर भारत का सख्त फैसला ,Myntra और AJIO ने बंद की बिक्री,पाकिस्तान का साथ देने की सज़ा अब ई कॉमर्स से लेकर टूरिज्म तक दिखने लगी
पहलगाम में जो हुआ उसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। एक के बाद एक जवानों की शहादत की खबरों के बीच जब पाकिस्तान के साथ तुर्की और अजरबैजान जैसे मुल्क खड़े होते दिखे तो देशभर में लोगों का गुस्सा भड़क उठा। सोशल मीडिया पर विरोध शुरू हुआ लेकिन अब ये गुस्सा सिर्फ नाराज़गी तक सीमित नहीं रहा।
अब लोगों ने अपने तरीके से जवाब देना शुरू कर दिया है। बात सिर्फ बोलने तक नहीं है बल्कि अब इसका असर बाजार और कारोबार पर दिखने लगा है। देश की बड़ी ई कॉमर्स कंपनियों ने तुर्की के ब्रांड्स को अपनी वेबसाइट से हटाना शुरू कर दिया है। Myntra और AJIO जैसे प्लेटफॉर्म अब तुर्की के किसी भी प्रोडक्ट को नहीं बेच रहे। पहले इन ब्रांड्स को वेबसाइट पर पीछे किया गया फिर धीरे धीरे पूरी तरह से हटा दिया गया।
सूत्रों की मानें तो इन कंपनियों ने तय कर लिया है कि देश के खिलाफ खड़े होने वालों के साथ कोई व्यापार नहीं किया जाएगा। रिलायंस की तरफ से यह भी कहा गया है कि उनके लिए देश सबसे पहले आता है और उनके हर फैसले की बुनियाद यही सोच होती है।
इधर ट्रैवल इंडस्ट्री ने भी कमर कस ली है। EaseMyTrip और Ixigo जैसी वेबसाइट्स ने अपने ग्राहकों को साफ साफ कह दिया है कि तुर्की और अजरबैजान की यात्रा से बचें। कई ट्रैवल एजेंसियों ने तो इन देशों के टूर पैकेज बेचना ही बंद कर दिया है।
व्यापारियों ने भी मोर्चा खोल दिया है। अब न तुर्की के सेब बिकेंगे न मार्बल के पत्थर। छोटे बड़े व्यापारियों ने तुर्की से आने वाले तमाम सामान को स्टोर से बाहर कर दिया है। कहने को अभी सरकार की तरफ से कोई आधिकारिक बैन नहीं लगा है लेकिन जनता के तेवर और कंपनियों का रुख देख कर साफ है कि जो देश भारत के विरोधियों के साथ खड़े होंगे उनका भारत में कारोबार ठप हो जाएगा।
अगर आंकड़ों पर नज़र डालें तो भारत का व्यापार तुर्की के साथ फायदे में रहा है। बीते एक साल में भारत ने तुर्की को पांच अरब डॉलर से ज्यादा का सामान बेचा है जबकि आयात सिर्फ दो अरब डॉलर से थोड़ा ज्यादा का हुआ है। अजरबैजान से तो भारत को कोई बड़ा व्यापारिक फायदा भी नहीं है। वहां से आने वाला सामान बेहद कम है।
अब ये तय है कि जो भी देश पाकिस्तान जैसे आतंकी सोच रखने वालों के साथ खड़ा होगा उसे भारत से दूरी का खामियाज़ा भुगतना पड़ेगा। अब बात सिर्फ कूटनीति की नहीं बल्कि सीधे सीधे बाजार से हो रही है।