Almora:: अधिवक्ताओं के लिए जीवन बीमा,स्वास्थ बीमा और स्टाइफंड की पहल की जाय, बार उपाध्यक्ष ने उठाई मांग
अल्मोड़ा:: जिला बार एसोसिएशन अल्मोड़ा के उपाध्यक्ष एडवोकेट कवीन्द्र पन्त ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया व बार काउंसिल ऑफ उत्तराखण्ड के अध्यक्ष व सचिव को दो अलग-अलग ज्ञापन प्रेषित किए।
उन्होंने अपने पूर्व प्रेषित पत्र दिनांक 22 जुलाई 2023 का हवाला देते हुए अधिवक्तागण की सामाजिक सुरक्षा के लिए केंद्र सरकार व राज्य सरकार द्वारा अधिवक्तागण का जीवन बीमा, स्वास्थ्य बीमा, दुर्घटना बीमा कराए जाने, नव पंजीकृत कनिष्ठ अधिवक्ताओं व उम्रदराज वरिष्ठ एडवोकेट्स को प्रोत्साहन राशि/जीवन निर्वाह भत्ता (स्टाइफन्ड) दिए जाने के लिए पहल सुनिश्चित किए जाने का अनुरोध किया है।
पंत का कहना है कि अधिवक्ताओं के समक्ष वर्तमान में बहुत सी चुनौतियां हैं और उनमें भी नव पंजीकृत जूनियर अधिवक्ताओं के लिए शुरूआती वर्ष आर्थिक रूप से चुनौतिपूर्ण साबित हो रहे हैं जिससे नए अधिवक्ताओं के लिए जीविकोपार्जन के दृष्टिकोण से अधिवक्ता व्यवसाय में बने रहना बेहद कठिन हो रहा है उनका कहना है कि आज कमजोर आर्थिक पृष्ठभूमि के परिवारों से आने वाले उन नव पंजीकृत कनिष्ठ अधिवक्ताओं की मनोदशा को समझना बेहद जरूरी है जो कि वकालत का एक कैरियर के तौर पर चुनाव कर अनेकों सपने लिए इस व्यवसाय में आते हैं और शुरूआती वर्षों में आमदनी की कमी उन्हें निराश करती है।
एडवोकेट पंत का कहना है कि अब परिस्थितियां पहले से बिल्कुल भिन्न हैं और कार्यस्थल तक आने जाने के लिए भी संसाधनों की महती आवश्यकता होती है ऐसे में यह आवश्यक हो जाता है कि शुरूआती पांच साल तक जूनियर अधिवक्ताओं के लिए एक समुचित प्रोत्साहन राशि (स्टाइफन्ड) की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए व 60 वर्ष से अधिक आयु के ऐसे वरिष्ठ अधिवक्तागण जिन्होंने अपना पूरा जीवन वकालत के व्यवसाय के लिए समर्पित कर दिया अधिवक्ता व्यवसाय में जीवन पर्यन्त महत्वपूर्ण योगदान सुनिश्चित किया है लेकिन अब बढ़ती उम्र की परेशानियों से कोर्ट आने में असमर्थ हो रहे हैं उन्हें भी इसी तरह का जीवन निर्वाह भत्ता मिले जिससे वे अपना शेष जीवन बिना किसी आर्थिक परेशानी के बिना किसी पर निर्भरता के सम्मान के साथ व्यतीत कर सके।
बार उपाध्यक्ष कवीन्द्र पन्त ने बार काउंसिल अध्यक्षों से आग्रह व मांग की है कि अधिवक्ता हित में सरकार के स्तर पर समुचित पहल सुनिश्चित कर
(1) बार काउंसिल से संबद्ध सभी अधिवक्ताओं का सरकार द्वारा कम से 30 लाख का जीवन बीमा, स्वास्थ्य बीमा, टर्म इंश्योरेंस व दुर्घटना बीमा करवाया जाय।
(2) बार काउंसिल से संबद्ध सभी अधिवक्ताओं को सरकार के सभी सरकारी अस्पतालों, मेडिकल कांलेजों व सरकार द्वारा अनुबंधित सूचीबद्ध निजी चिकित्सालयों में निःशुल्क ईलाज, दवा, जांच, आंपरेशन आदि की सुविधा उपलब्ध कराई जाए.
(3) बार काउंसिल से संबद्ध सभी नव पंजीकृत कनिष्ठ अधिवक्ताओं को शुरूआती पांच साल तक सरकार द्वारा एक समुचित प्रोत्साहन राशि (स्टाइफन्ड) जो कि कम से कम 20 हजार रुपए महीना हो दिलवाये जाने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
(4) बार काउंसिल से संबद्ध ऐसे सभी अधिवक्तागण जो कि 60 वर्ष की उम्र पूर्ण कर चुके हैं को सरकार द्वारा कम से कम 20 हजार रुपए महीना जीवन निर्वाह भत्ता दिलवाया जाय।
इसके अतिरिक्त बार एसोसिएशन उपाध्यक्ष कवीन्द्र पन्त ने बार काउंसिल ऑफ उत्तराखण्ड के अध्यक्ष व सचिव को एक अन्य पत्र भेजकर उत्तराखण्ड सरकार द्वारा लागू किए गए यूसीसी के अंतर्गत विवाह व वसीयत पंजीकरण आंनलाईन कर दिए जाने से अधिवक्तागण के व्यवसाय में पड़ रहे नकारात्मक प्रभाव व राज्य सरकार द्वारा प्रस्तावित आंनलाईन भूमि रजिस्ट्री से भविष्य में अधिवक्ताओं के हित में पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव के संदर्भ में मा० मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड से पत्राचार व वार्तालाप किए जाने व अधिवक्ता हित में बार काउंसिल के स्तर पर इस संदर्भ में पहल सुनिश्चित किए जाने का अनुरोध किया है। उन्होंने बताया है कि विवाह व वसीयत पंजीकरण अभी भी जन सुविधा केंद्र (CSC centers) से ही आंनलाईन हो रहे हैं सब रजिस्ट्रार कार्यालय से नहीं हो पा रहे हैं उन्होंने बार काउंसिल अध्यक्ष से अनुरोध किया है कि अधिवक्ता हित में उपरोक्त संदर्भ को गंभीरता से लेते हुए विवाह, वसीयत पंजीकरण की संपूर्ण प्रक्रिया में पूर्व की भांति अधिवक्ताओं की सक्रिय सहभागिता सुनिश्चित करवाने, प्रस्तावित आंनलाईन रजिस्ट्री के प्रस्ताव को वापस लेने के लिए अपने स्तर पर पहल सुनिश्चित करेंगे।