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जूना अखाड़े के आध्यात्मिक गुरु, महामंडलेश्वर महायोगी पायलट बाबा का हाल ही में मुंबई के अस्पताल में ब्रह्मलीन हो जाने के बाद हरिद्वार के आश्रम में उनकी महासमाधि दी गई थी। आज शुक्रवार को, उनके उत्तराधिकारी की आधिकारिक घोषणा की गई है। पायलट बाबा की जापानी शिष्या योगमाता साध्वी कैवल्या देवी, जिन्हें पहले केको आईकोवा के नाम से जाना जाता था, को उनके उत्तराधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया है। इसके साथ ही उन्हें पायलट बाबा आश्रम ट्रस्ट का अध्यक्ष भी बनाया गया है।
महामंडलेश्वर साध्वी चेतनानंद गिरि और साध्वी श्रद्धा गिरि को मिली नई जिम्मेदारियां:
शुक्रवार को आयोजित एक सभा में, जूना अखाड़े के महंत और संतों ने इसकी घोषणा की। सभा में यह भी घोषित किया गया कि महामंडलेश्वर साध्वी चेतनानंद गिरि और साध्वी श्रद्धा गिरि को ट्रस्ट का महामंत्री बनाया गया है। यह निर्णय पायलट बाबा के विशाल अनुयायी समूह और उनके द्वारा स्थापित कई आश्रमों की देखरेख को सुचारू रूप से चलाने के लिए लिया गया है।
पायलट बाबा: एक रहस्यमय और आध्यात्मिक व्यक्तित्व
पायलट बाबा का जीवन अत्यंत रहस्यमय रहा है। उनका असली नाम कपिल सिंह था, और उनका जन्म बिहार के रोहतास जिले के सासाराम में एक राजपूत परिवार में हुआ था। बाबा ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त की और इसके बाद भारतीय वायु सेना में विंग कमांडर के पद पर सेवा दी। उन्होंने 1962, 1965, और 1971 की लड़ाइयों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और इसके लिए उन्हें सम्मानित भी किया गया।
सेना से अध्यात्म तक का सफर:
पायलट बाबा का जीवन बदलने वाला क्षण 1996 में आया, जब वे पूर्वोत्तर भारत में मिग विमान उड़ा रहे थे। उस समय उनके विमान का नियंत्रण खो गया था और उसी दौरान उन्हें उनके गुरु हरि गिरी महाराज का दर्शन प्राप्त हुआ। इस अनुभव ने बाबा को वैराग्य की ओर प्रेरित किया, और उन्होंने शांति और अध्यात्म का मार्ग अपनाने का निर्णय लिया। इसके बाद, उन्होंने सेना की लड़ाई से दूरी बना ली और अपने जीवन को अध्यात्म के प्रति समर्पित कर दिया।
पायलट बाबा की संपत्ति और आश्रम:
पायलट बाबा ने अपने जीवनकाल में अकूत संपत्ति का अर्जन किया था। उनके अनुयायी रूस, यूक्रेन, जापान और कई अन्य देशों में फैले हुए थे। उन्होंने भारत में बिहार, नैनीताल, हरिद्वार, उत्तरकाशी, गंगोत्री आदि स्थानों पर अपने आश्रमों की स्थापना की। हरिद्वार स्थित उनके आश्रम में अत्यधिक खर्च करके कई निर्माण कार्य किए गए हैं, जिनमें से एक करोड़ रुपये की लागत से केवल शौचालय का निर्माण किया गया था। उनके आश्रमों में विदेशी भक्तों का तांता लगा रहता था, जो दिन-रात सेवा करने के लिए आते थे।
कैवल्या देवी की नियुक्ति:
अब, पायलट बाबा के ब्रह्मलीन होने के बाद, उनकी जापानी शिष्या योगमाता साध्वी कैवल्या देवी को उनके उत्तराधिकारी के रूप में चुना गया है।साध्वी कैवल्या देवी अब पायलट बाबा आश्रम ट्रस्ट की अध्यक्षता संभालेंगी।