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मई दिवस   अल्मोड़ा में श्रमिक हितों को लेकर एकजुट होकर संघर्ष का ऐलान

मई दिवस:: अल्मोड़ा में श्रमिक हितों को लेकर एकजुट होकर संघर्ष का ऐलान

07:49 PM May 01, 2025 IST | editor1
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अल्मोड़ा:: अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर दिवस के उपलक्ष्य में श्रमिक, कर्मचारी संगठनों, संविदा, ठेकाप्रथा व मानदेय कार्यरत तमाम संगठनों द्वारा आज गांधी पार्क अल्मोड़ा में सभा आयोजित की गई।
मई दिवस आयोजन समिति के संयोजक व सभा की अध्यक्षता कर रहे उत्तराखंड मिनिस्ट्रियल एसोसिएशन के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व जाने माने श्रमिकों व कर्मचारियों के नेता चंद्र मणि भट्ट ने कहा कि भविष्य में आंगनबाड़ी कार्यकर्ती, ठेका श्रमिकों, संविदा कर्मियों, आशा कार्यकर्ताओं को एकजुट कर इनके हितों के लिए सरकार पर दबाव बनाया जाएगा।
सभा में वक्ताओं ने मज़दूरों के बलिदान को याद किया और कहा कि किसी भी देश की उन्नति में मजदूरों का अहम योगदान होता है परंतु मज़दूरों के श्रम को महत्व नहीं दिया जा रहा है।
इस दौरान उपपा के केंद्रीय अध्यक्ष पी. सी. तिवारी ने कहा कि सरकार की तमाम जनविरोधी व मजदूर विरोधी नीतियों से आज देश की जनता त्रस्त है। देश में सामाजिक असमानता, बेरोजगारी, महंगाई के साथ सरकारी नौकरियों तेजी से ख़त्म हो रही हैं उनके स्थान पर रोजगार की ठेकेदारी प्रथा, संविदा व मानदेय पर आधारित नितांत अस्थाई नौकरियों में लाखों युवा अपना जीवन गुजारने को मजबूर हैं और कहा कि आज आंगनबाड़ी कार्यकर्ती, भोजनमाताओं, संविदा कर्मियों, ठेका श्रमिकों की स्थिति दयनीय है सरकार को इनकी समस्याओं का समाधान करना चाहिए।

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सभा को संबोधित करते हुए राज्य आंगनबाड़ी संगठन की प्रदेश उपाध्यक्ष सुनीता तिवारी ने कहा कि आंगनबाड़ी में कार्यरत वर्कर्स को सम्मानजनक मानदेय नहीं मिल रहा है। उन्होंने कहा कि मानदेय के नाम पर उन्हें जो पारिश्रमिक दिया जाता है वो भी उन्हें समय पर नहीं दिया जा रहा है जिस कारण उनके परिवार के दायित्व की पूर्ति नहीं हो पा रही है और उन्हें अपने परिवार के पालन पोषण और भविष्य की चिंता सताती रहती है।उन्होंने कहा कि मानदेय शब्द को हटाकर न्यूनतम वेतन 25000 किया जाना चाहिए।

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एडवोकेट जीवन चंद्र ने मजदूर दिवस का इतिहास बताते हुए कहा कि सरकार अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए और अपनी जिम्मेदारियों से बचने के लिए मजदूरों का शोषण कर रही है और मजदूर विरोधी कानून लाकर भ्रमित कर रही है।

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उपपा के केंद्रीय महासचिव नारायण राम ने अपने जनजीत के माध्यम से रोजगार विरोधी, किसान विरोधी, मजदूर विरोधी नीतियों का पर्दाफाश करते हुए कहा कि सरकार की अनदेखी के कारण आज रोजगार न मिलने से युवा हताश व निराश हैं और नशे के जंजाल में फंसते जा रहे हैं।

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जनवादी नौजवान सभा के युसुफ तिवारी ने दुनिया के मेहनतकश मजदूरों एक हो नारे के साथ सभी संघर्षशील मजदूरों से मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ एकजुट होने का आह्वान किया और कहा कि आज देश के तमाम संघर्षशील मजदूरों की स्थिति बहुत गंभीर है उन्हें पारिश्रमिक पूर्ण रूप से नहीं मिल रहा है और वो बड़े बड़े पूंजीपतियों व ठेकेदारों के हाथों में जा रहा है।

जनवादी महिला संगठन की सुनीता तिवारी ने कहा कि सरकार आज सारी सरकारी नौकरियों को खत्म कर रही है और महंगाई व रोजगार के मुद्दे से ध्यान भटकाने के लिए सांप्रदायिकता के एजेंडे पर कार्य कर रही है।
सीटू के पदाधिकारी देवेंद्र सिंह फर्त्याल ने कहा कि पूर्व में मजदूरों को मस्टररौल या दैनिक श्रमिक के रूप में रखा जाता था उन्हें पूरा पारिश्रमिक दिया जाता था लेकिन आज उसमें भी कटौती कर दी गई है।
सभा में भोजनमाता नरगिस, उछास की विनीता और भारतेंदु भाकुनी ने भी अपने विचार रखे। सभा का संचालन अमिन्नुर रहमान ने किया।
सभा में आंगनबाड़ी की ज़िला मीडिया प्रभारी पुष्पा लखचौरा, सुमन जोशी, शांति, सरोज जोशी, उपपा की केंद्रीय उपाध्यक्ष आनंदी वर्मा, हेमा पांडे, हीरा देवी, उछास की सोनी मेहता, हेमा, भावना पांडे, दीपांशु पांडे, हर्षिता जोशी, ममता जोशी, किरन आर्या, ममता बिष्ट, एडवोकेट भारती, एडवोकेट पान, राजू गिरी, पूर्व प्रधानाध्यापक नीरज पंत, शिक्षाविद् चंद्रशेखर बनकोटी, एडवोकेट वर्तिका, एडवोकेट विनोद तिवारी, धीरेन्द्र मोहन पंत, मुन्नी, बालप्रहरी के उदय किरौला, गीता कनवाल, लक्ष्मी रौतेला, कमला लटवाल, राधा नेगी, दीपक जोशी, एडवोकेट गोपाल राम, भूपेंद्र मोहन पंत, प्रकाश चन्द्र समेत तमाम संगठनों के लोग मौजूद रहे।

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