अभी अभी
उत्तराखंड | नैनीतालहरिद्धारसोमेश्वररूद्रप्रयागरामनगरभतरोजखानबेरीनागबेतालघाटबागेश्वरपौड़ी गढ़वालपिथौरागढ़हरिद्वारहल्द्धानीदेहरादूनअल्मोड़ाताड़ीखेतचम्पावतऊधम सिंह नगरउत्तरकाशी
जॉब अलर्ट
देश | हिमांचल प्रदेश
दुनिया
Advertisement

अंतरिक्ष में पहली बार मोबाइल कॉल होगा मुमकिन, इसरो रचेगा इतिहास

07:52 PM Jan 02, 2025 IST | uttranews desk
Advertisement

ISRO के लिए 2025 बेहद बहुत ही खाद होगा। इसलिए क्योंकि आने वाले 6 महीनों में, इसरो एक के बाद एक बड़े मिशन लॉन्च करने वाला है। जिसमें सबसे अधिक चर्चा में है गगनयान मिशन और भारत-अमेरिका का अब तक का सबसे महंगा संयुक्त सैटेलाइट NISAR. लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती।

Advertisement


अब जल्द ही आपके फोन से सीधे अंतरिक्ष में कॉल करना मुमकिन होगा।

Advertisement


इसरो 2025 के फरवरी-मार्च में एक अमेरिकी कम्युनिकेशन सैटेलाइट लॉन्च करेगा। इसकी सहायता से आपका स्मार्टफोन सीधे अंतरिक्ष से जुड़कर कॉल करने और इंटरनेट चलाने में सक्षम होगा। इसमें खास बात यह है कि इसके लिए किसी स्पेशल हैंडसेट या टर्मिनल की जरूरत नहीं होगी। जो कि पूरी तरह से कमर्शियल लॉन्च होगा, जिससे इसरो की कमर्शियल विंग न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) अंजाम देगी।

Advertisement


क्या है ये मिशन?

Advertisement


भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने अमेरिका की AST SpaceMobile कंपनी का सेटेलाइट करेगी। यह मिशन एक खास तकनीक पर आधारित है जो मोबाइल फोन को सीधे सेटेलाइट से जोड़ने की क्षमता देगा। यह पहली बार है, जब कोई अमेरिकी कंपनी भारत से एक विशाल कम्युनिकेशन सैटेलाइट लॉन्च करा रही है।

भारत ने अब तक अमेरिकी कंपनियों के छोटे सैटेलाइट्स ही लॉन्च किए हैं।
इस तकनीक का मकसद दुनिया के हर कोने में मोबाइल नेटवर्क उपलब्ध कराना है, चाहे वह पहाड़ों के बीच हो, जंगलों में हो या फिर समुद्र के बीचों-बीच. अब बिना मोबाइल टावर के भी कॉल और इंटरनेट सेवा मिल सकेगी।


यह उन क्षेत्रों के लिए क्रांतिकारी साबित होगा जहां नेटवर्क कवरेज एक बड़ी चुनौती है।


कैसे काम करेगा यह सिस्टम?


ये एक बड़ा और उन्नत सेटेलाइट है, जिसे डायरेक्ट-टू-सेल तकनीक पर डिजाइन किया गया है। यह सेटेलाइट सीधे फोन पर सिग्नल भेजेगा, जिससे बिना किसी इंटरमीडियरी टावर या नेटवर्क के मोबाइल काम करेगा। यानी, आपका स्मार्टफोन सीधा अंतरिक्ष से कनेक्ट होगा। ISRO के लिए यह मिशन एक और उपलब्धि है, जो अंतरराष्ट्रीय स्पेस मिशनों में भारत की भूमिका को और मजबूत करता है।


आधे फुटबॉल मैदान बराबर एंटीना होगा
इस सैटेलाइट का एंटीना लगभग 64 वर्ग मीटर का होगा, जो आधे फुटबॉल मैदान के आकार के बराबर है।करीब 6000 किलोग्राम वजनी होगा और इसे भारत के श्रीहरिकोटा से ISRO के LVM-3 रॉकेट (बाहुबली) के जरिए निचली कक्षा में स्थापित किया जाएगा।


यह लॉन्च ISRO के लिए एक बड़ी उपलब्धि है क्योंकि इससे अमेरिकी कंपनियों का भारत के रॉकेट और लॉन्च सिस्टम पर विश्वास बढ़ेगा। इससे पहले, LVM-3 ने दो बार OneWeb सैटेलाइट ग्रुप को सफलतापूर्वक लॉन्च किया है।


क्या होंगे इसके फायदे?


दुनिया भर में नेटवर्क कवरेज: अब दुर्गम क्षेत्रों में भी नेटवर्क मिल सकेगा.


आपदा प्रबंधन में मदद: बाढ़, भूकंप, या किसी भी आपदा के समय जब मोबाइल टावर काम नहीं करते, यह तकनीक बेहद उपयोगी होगी।


सस्ता और सुलभ नेटवर्क: मोबाइल नेटवर्क कंपनियों के खर्च में कमी आएगी, जिसका सीधा लाभ उपभोक्ताओं को मिलेगा.


कंपनी का कहना है कि सर्विस (अंतरिक्ष से सीधे कॉल) का इस्तेमाल करने के लिए किसी को सर्विस प्रोवाइडर्स (मोबाइल नेटवर्क देने वाली कंपनियां जैसे- एयरटेल, वोडाफोन) बदलने की जरूरत नहीं पड़ेगी. इसके लिए हम दुनियाभर के मोबाइल नेटवर्क ऑपरेटरों के साथ काम कर रहे हैं.

Advertisement
Tags :
isroviral
Advertisement
Next Article