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हंस आजीविका परियोजना की ओर से कृषकों को दिया मशरूम प्रशिक्षण

08:54 PM Oct 16, 2024 IST | editor1
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Mushroom training given to farmers by Hans Livelihood Project

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अल्मोड़ा: हंस फाउंडेशन द्वारा संचालित हंस आजीविका परियोजना के अंतर्गत हवालबाग ब्लॉक के 50 गांवों में किसानों को आविजीका के क्षेत्र में प्रोत्साहित किया जा रहा है।

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इस क्रम में 3 गांवों में मशरूम उत्पादन से स्वरोजगार को बढ़ाने में कार्य किया जा रहा जिस हेतु ग्रामीणों को समूह में जोड़कर लगातार सरकारी संस्थानों से तकनीकी प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

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मशरूम उत्पादन हेतु किसानों को विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान केंद्र कोसी में दिया जा रहा है,जिसके लिए पूर्व में 33 किसानों को मशरूम प्रशिक्षण दिया गया और अभी 30 उत्पादकों को 18अक्टूबर तक प्रशिक्षण दिया जाएगा।


यह प्रशिक्षण स्वरोजगार से जोड़ने हेतु विवेकानंद पर्वतीय अनुसंधान केंद्र कोसी के वैज्ञानको द्वारा दिया जा रहा है।


इस मौके पर परियोजना प्रबंधक दलीप सिंह कुलेगी हंस आजीविका परियोजना द्वारा बताया गया की द हंस फाउंडेशन आजीविका के क्षेत्र मे हंस आजीविका परियोजना के माध्यम से ग्रामीणों को मशरुम का प्रशिक्षण वीपीकेएस के सहयोग से प्रदान करवा रही है,ताकि ग्रामीण तकनीकी रूप से मशरुम उत्पादन में सक्षम हो, और मूल्य वर्धन के साथ अच्छी पैकेजिंग कर के मशरूम का बाजारीकरण कर सके साथ ही पहाड़ी क्षेत्रों मे मुख्य रूप से ढींगरी और बटन मशरूम की अधिक मांग रहती है।

इनको ग्राम स्तर पर सीमित संसाधनों से भी किया जा सकता है। इन सभी तकनीकों का हुनर कृषको को इस के माध्यम से दिया जा रहा है।


इस अवसर पर वीपीकेएएस के निदेशक डॉ. लक्ष्मी कांत ने प्रशिक्षण का उद्धघाटन किया गया तथा डॉ. के.के. मिश्रा द्वारा 3 दिवसीय मशरूम उत्पादन प्रशिक्षण कार्यक्रम का परिचय और मशरूम खेती के लिए VPKAS द्वारा उपयोग की जाने वाली तकनीकों और उनकी उपलब्धियों के बारे में विस्तृत विवरण दिया गया।


इस दौरान डॉ. के.के. मिश्रा द्वारा विश्व व देश में मशरूम उत्पादन की स्थिति, वर्तमान परिदृश्य, भविष्य की संभावनाएं,डॉ. गौरव वर्मा द्वारा ढींगरी मशरुम की खेती, उसके तरीके, विधि एवं प्रमुख रोग व उनके प्रबंधन की जानकारी दी गयी।


इस मौके पर ट्रेनिंग हेड डॉ बी. एम. पांडे , द हंस फाउंडेशन के योगेन्द्र चौहान , मोहित बिष्ट ब्लॉक समन्वयक, रमेश चंद्र दानी, उत्तम सिंह एवं किसान मौजूद थे।

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