NCPCR की स्टडी में हुआ बड़ा खुलासा ! 11.5 लाख बच्चों पर मंडरा रहा बाल विवाह का खतरा,
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा कराए गए एक सर्वे में यह सामने आया है कि 27 राज्यों और 7 केंद्र शासित प्रदेशों के करीब 11.5 लाख से अधिक बच्चों पर बाल विवाह का खतरा मंडरा रहा है।
इसमें भी सबसे ज्यादा बच्चे स्कूल से ड्रॉपआउट हो चुके, स्कूल नहीं जाने वाले बच्चे, या फिर लंबे समय से बिना किसी सूचना के स्कूल से अनुपस्थित बच्चे शामिल हैं। एनसीपीसीआर रिपोर्ट की माने तो इसमें ज्यादा लड़किया शामिल है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 5 लाख से अधिक बच्चे बाल विवाह के लिए 'संवेदनशील' पाए गए, जबकि असम में 1.5 लाख और मध्य प्रदेश में लगभग 1 लाख बच्चे इस श्रेणी में शामिल हैं।
लक्षद्वीप और अंडमान-निकोबार द्वीपसमूह ने भी बाल विवाह के जोखिम वाले बच्चों की रिपोर्ट साझा की। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अभी भी कई जिलों ने यह सर्वेक्षण नहीं किया। वहीं गोवा और लद्दाख ने कोई डेटा साझा नहीं किया है।
एनसीपीसीआर ने अभियान इस वर्ष मार्च में शुरू किया था। इस अभियान के तहत 27 राज्यों और 7 केंद्र शासित प्रदेशों के करीब 3 लाख गांवों और ब्लॉकों में 6 लाख से अधिक स्कूलों का सर्वेक्षण किया गया।
एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने अपने कार्यकाल के अंतिम दिन बुधवार (16 अक्टूबर) को 'टाइम्स ऑफ इंडिया' से बातचीत करने के दौरान बताया कि "बच्चों को लगातार स्कूल भेजना बाल विवाह को रोकने के लिए एक महत्वपूर्ण उपाय है". ऐसे में सभी राज्यों को उन बच्चों की पहचान करनी चाहिए जो स्कूल छोड़ चुके हैं, स्कूल नहीं जाते हैं, या नियमित रूप से स्कूल में उपस्थित नहीं होते। जरूरत पड़ने पर इन बच्चों के पेरेंट्स की काउंसलिंग करनी चाहिए।
इस अभियान का उद्देश्य बाल विवाह को रोकने के लिए बच्चों की शिक्षा में नियमितता सुनिश्चित करना और उनके परिवारों को जागरूक करना है। रिपोर्ट सामने आने के बाद एनसीपीसीआर ने राज्यों से अनुरोध किया है कि वे बाल विवाह के जोखिम में फंसे बच्चों की जल्द से जल्द सूची तैयार करें और बाल विवाह के खिलाफ ठोस कदम उठाए।