For the best experience, open
https://m.uttranews.com
on your mobile browser.
Advertisement
उत्तराखंड   गांधीवादी समाज सेविका राधा बहन को पद्म श्री पुरस्कार

उत्तराखंड:: गांधीवादी समाज सेविका राधा बहन को पद्म श्री पुरस्कार

11:13 AM Jan 26, 2025 IST | editor1
Advertisement

अल्मोड़ा/ कौसानी:: प्रख्यात गांधीवादी समाज सेविका राधा बहन भट्ट को पद्म श्री सम्मान से नवाजा जाएगा।
गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पद्म पुरस्कारों का एलान कर दिया गया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शनिवार रात पद्म पुरस्कारों की घोषणा की। उत्तराखंड की 91 वर्षीय राधा बहन भट्ट और उत्तराखंड के ह्यू और कोलिन गैंटजर (मरणोपरांत) को साहित्य और शिक्षा - पत्रकारिता में उनके अनुकरणीय कार्य के लिए पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा।
कौसानी के लक्ष्मी आश्रम से जुड़ीं राधा बहन वर्तमान में भी समाज सेवा से जुड़ी हैं।
समाजसेवा में जीवन अर्पित करने वाली राधा बहन भट्ट ने 18 साल की उम्र में घर छोड़ दिया था। वह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की शिष्या सरला बहन के कार्यों से प्रभावित होकर उनकी अनुयायी बनीं। उन्होंने वर्ष 975 में सरला बहन के 75वें जन्मदिन पर पद यात्रा शुरू की।
अब गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पद्म पुरस्कारों के लिए जारी सूची में उनका नाम शामिल किया गया है। पुरस्कार के लिए उनका चयन होना जिले के लिए गौरव की बात है।
राधा बहन का जन्म 16 अक्तूबर 1933 में अल्मोड़ा जिले के धुरका गांव में कमलापति और रेवती भट्ट के घर में हुआ था। वह युवावस्था में घर छोड़ कर वह कौसानी आ गईं थीं। यहां उन्होंने बालिका शिक्षा देने और उन्हें जीवन जीने की कला सिखाने पर कार्य किया। वर्ष 1957 में भूदान आंदोलन के साथ उनकी पदयात्रा शुरू हुई। बालिका शिक्षा, पर्यावरण संरक्षण, जल, जंगल, जमीन, ग्राम स्वराज, शराब आंदोलन, युवा महिला सशक्तीकरण, सर्वोदय आंदोलनों में उन्होंने बढ़ चढ़कर भागीदारी की। वह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की शिष्या सरला बहन के कार्यों से प्रभावित होकर उनकी अनुयायी बनीं। उन्होंने वर्ष 975 में सरला बहन के 75 वें जन्मदिन पर पद यात्रा शुरू की।

Advertisement

राधा बहन की इस 75 दिनों की लंबी यात्रा में वन संरक्षण, चिपको आंदोलन, शराब विरोध, ग्राम स्वराज की स्थापना के लिए लोगों को जागरूक किया। 1976 में देवीधूरा ब्लॉक से 65 गांवों की पदयात्रा की। इस दौरान उन्होंने 40 बालवाड़ी, 30 महिला संगठन, 12 गांव के लोगों को कृषि के लिए प्रेरित किया। 1980 में उन्होंने खनन के खिलाफ आवाज उठाई। 2006 से 2010 तक प्रदेश के हिमालय और नदियों का सर्वेक्षण करते हुए हाइड्रो पावर परियोजनाओं का विरोध किया। समाजसेवा के लिए उन्हें कई पुरस्कार भी मिल चुके हैं।

Advertisement

Advertisement
Advertisement
×