कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत की अध्यक्षता में सर्किट हाउस में भू कानून समीक्षा के लिए एक बैठक बुलाई गई जिसमें कुमाऊं के चार जिलों में बाहरी लोगों की जमीन खरीदने पर रोक लगाने के लिए सिफारिश की गई।अधिकारियों का कहना है कि पिथौरागढ़ में चंपावत में ही बाहरी लोगों के 250 वर्ग मीटर भूमि खरीदने की व्यवस्था की जाए जबकि नैनीताल, ऊधमसिंह नगर, अल्मोड़ा व बागेश्वर के लिए सख्त भू-कानून बनाते हुए बाहरी लोगों के जमीन खरीद पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया जाए। तराई-भाबर में कृषि भूमि व औद्योगिक क्षेत्र के लिए होने वाली खरीद-फरोख्त पर भी रोक लगाए जाने की जरूरत है।काठगोदाम स्थित सर्किट हाउस सभागार में हुई जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम की समीक्षा बैठक में आयुक्त मंडल ने पर्वतीय व मैदानी क्षेत्र में जमीन की खरीद पर सभी जिलों के एसडीएम व तहसीलदारों को भूमि खरीदने प्रयोजन की जांच करने के निर्देश दिए।बताया जा रहा है कि यहां लोगों ने मंडल में भूमि धार्मिक प्रयोजन से ली है लेकिन अब उसका प्रयोग होटल और रिसॉर्ट आदि बनाकर कर रहे हैं जिसकी जांच होना जरूरी है। जमीन की खरीदारी को लेकर अधिकारियों से मिले सुझाव पर आयुक्त ने कहा कि इन सिफारिश को शासन के पास भेजा जाएगा।नैनीताल में भू-कानून उल्लंघन के सबसे ज्यादा मामले:कुमाऊं में भू कानून उल्लंघन के मामलों की समीक्षा के दौरान मंडल भर से आए 143 मामलों पर चर्चा की गई। अब तक कुमाऊं में सबसे अधिक भू कानून उल्लंघन के 44 मामले नैनीताल से सामने आए हैं। जबकि अल्मोड़ा में 24 मामले ऐसे आए हैं। वही उधम सिंह नगर से 41 और बागेश्वर में चार मामले सामने आए हैं। चंपावत, पिथौरागढ़ जिले में अब तक भू कानून उल्लंघन का कोई भी मामला सामने नहीं आया है। सभी 143 मामलों में एसडीएम ने सुनवाई शुरू कर दी है।खेती व उद्योगों के लिए खरीदी जमीनों का हो रहा दुरुपयोग:आयुक्त का कहना है कि अक्सर शिकायत मिलती है की खेती के लिए खरीदी गई भूमि का प्रयोग कृषि के बजाय होटल और रिसॉर्ट आदि में किया जा रहा है। इस भूमि का उपयोग सिर्फ कृषि के लिए होना चाहिए और इसका उल्लंघन करने वालों पर कार्यवाही होनी चाहिए।जमीन खरीद पर प्रशासन की अनुमति हो अनिवार्य:बैठक में एसडीएम व तहसीलदारों ने भूमि के दुरुपयोग को रोकने के लिए कई सुझाव भी दिए। सभी अधिकारियों ने सर्व सम्मति से बाहरी लोगों को 250 वर्ग मीटर आवासीय भूमि खरीदने के लिए प्रशासन की अनुमति को अनिवार्य बताया और यह भी कहा जा रहा है कि परिवार के लोग आसपास में ही 250-250 वर्ग मीटर भूमि क्रय कर उसपर रिसॉर्ट व होटल बना लेते हैं। जिससे भू-कानून का दुरुपयोग हो रहा है।अनुमति अनिवार्य होने से वह भविष्य में कहीं और भूमि नहीं खरीद सकेंगे। अधिकारियों ने कहा कि शासन स्तर पर राज्यव्यापी नहीं बल्कि जिलेवार भूमि की उपलब्धता को देखते हुए भूमि खरीद की नीति बनाई जाए।