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वाराणसी के मंदिरों से हटाई जा रही साईं बाबा की प्रतिमा, वजह जानिए यहां

03:46 PM Oct 02, 2024 IST | editor1
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उत्तर प्रदेश स्थित वाराणसी के मंदिरों में स्थापित साईं मूर्ति को लेकर संग्राम छिड़ा हुआ है। अब तक 14 मंदिरों से साईं बाबा की प्रतिमा को हटा दिया गया है। प्रसिद्ध बड़ा गणेश मंदिर से भी साईं प्रतिमा हटाई गई है।

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जानकारी के अनुसार सनातन रक्षक सेना के अजय शर्मा के नेतृत्व में इस काम को किया जा रहा है। सनातन रक्षक दल' नामक संगठन के एक अभियान शुरू करने के बाद, मंगलवार को वाराणसी में कई मंदिरों से साईं बाबा की मूर्तियां हटा दी गईं। संगठन ने यहां बड़ा गणेश मंदिर से साईं बाबा की एक मूर्ति को हटाकर मंदिर परिसर से बाहर रख दिया।

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बड़ा गणेश मंदिर के मुख्य पुजारी रम्मू गुरु ने कहा, ''साईं बाबा की पूजा बिना किसी जानकारी के की जा रही थी। जो कि शास्त्रों के अनुसार वर्जित है।'' इसी तरह, अन्नपूर्णा मंदिर के मुख्य पुजारी शंकर पुरी ने कहा, ''शास्त्रों में साईं बाबा की पूजा का कोई उल्लेख नहीं है।''
जानकारी के अनुसार हिंदू संगठनों की नजरों में 28 और मंदिर हैं, हिंदू संगठनों का आरोप है कि साईं मुस्लिम है।

उनका सनातन धर्म से कोई रिश्ता नहीं, जिस वजह से प्रतिमा हटाई जा रही है। संगठनों का कहना है कि साईं पूजा का विरोध नहीं है लेकिन मंदिरों में मूर्ति नहीं लगने देंगे।

मंदिरों से साईं बाबा की मूर्तियां हटाने का अभियान संचालित कर रहे संगठन 'सनातन रक्षक दल' के प्रदेश अध्यक्ष अजय शर्मा ने कहा, ''काशी (वाराणसी) में केवल सर्वोच्च देवता भगवान शिव की पूजा होनी चाहिए। श्रद्धालुओं की भावनाओं का सम्मान करते हुए साईं बाबा की मूर्तियों को 10 मंदिरों से पहले ही हटा दिया गया है वही अब अगस्त्य कुंड और भूतेश्वर मंदिर से भी साईं बाबा की मूर्तियां हटाई जाएंगी।''

शहर के सिगरा क्षेत्र में संत रघुवर दास नगर स्थित साईं मंदिर के पुजारी समर घोष का कहना है कि''जो लोग आज सनातनी होने का दावा कर रहे हैं उन्हीं लोगों ने मंदिरों में साईं बाबा की प्रतिमा को स्थापित किया है। और अब वही लोग साई बाबा की प्रतिमा को वहां से हटा रहे हैं। ईश्वर का कोई भी रूप हो सकता है। इस तरह के कृत्य सही नहीं हैं। इससे लोगों की आस्था को ठेस पहुंचेगी ।घोष ने बताया कि यह साईं मंदिर रोजाना सुबह 7 बजे से रात 10 बजे तक खुलता है और श्रद्धालु हर दिन पूजा करने आते हैं। उन्होंने कहा, ''खासकर बृहस्पतिवार को करीब 4,000 से 5,000 श्रद्धालु मंदिर में पूजा करने आते हैं।''

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