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कल यानि 22 अगस्त को विधानसभा सत्र के पहले दिन खराब मौसम और बंद रास्तों के बावजूद सरपंचों ने अपनी 5 सूत्रीय मांगो को लेकर प्रदर्शन किया। इस मौके पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के प्रतिनिधि को अपना पांच सूत्रीय ज्ञापन सौंपा।
घनानन्द शर्मा और कैलाश खण्डूरी जी के नेतृत्व में सरपंचों ने एक जुलूस के रूप में भराडीसैंण की ओर कूच किया और अपनी पांच सूत्रीय माँगों के समर्थन में एक सभा की। सभा के बाद सरपंचों के एक शिष्टमण्डल ने माननीय मुख्यमन्त्री के प्रतिनिधि से भेंट कर ज्ञापन सौंपा । ज्ञापन देने वालों में घनानंद शर्मा,कैलाश खण्डुरी, निशा जोशी, बीना बिष्ट,हेमा नेगी,महिपाल रावत, रमेश नेगी, देवेन्द्र भट्ट, बीपी सती,राज नेगी,बलवन्त नेगी,बबली रावत,मीरा देवी आदि शामिल रहे।
इससे पहले निशा जोशी, हेमा नेगी, बीना बिष्ट और रमेश नेगी ने गैरसैंण में पूर्व मुख्यमन्त्री हरीश रावत और अल्मोड़ा के विधायक मनोज तिवारी जी को कर सरपंचों की समस्याओं से अवगत कराया और अपना पांच सूत्रीय मांगपत्र देकर विधानसभा के प्रश्नकाल के दौरान सरपंचों की मांगों को प्रमुखता से उठाने का अनुरोध किया।
पांच सूत्रीय मांगपत्र में उत्तराखंड की वन पंचायतों को संवैधानिक दर्जा देकर उन्हें मुख्यधारा में शामिल करने और प्रति वर्ष उनके लिए वित्तीय व्यवस्था करने,वन पंचायत सलाहकार परिषद का गठन करने,वनाग्नि से सुरक्षा के साथ जीवन बीमा, मानदेय, और वन पंचायती विकास तथा वनाग्नि अवरोधक प्रशिक्षण के प्रावधान की व्यवस्था करने,वन पंचायतों में वन विभाग और ठेकेदारी व्यवस्था खत्म कर स्वतंत्र और स्वायत्तधारी संस्था घोषित करने और अंग्रेजी के समय से चले आ रहे कानूनों को खत्म कर आज की परिस्थितियों के हिसाब से ठोस आधुनिक वन कानून बनाने,वन अधिनियम एक्ट में परिवर्तन करने की मांग शामिल है।