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बंदायू मेडिकल कालेज में बिना उपचार के मासूम की मृत्यु होने के मामले में गुरुवार की शाम को प्राचार्य ने ईएनटी विभाग के विभागाध्यक्ष समेत दो डाक्टरों की सेवा समाप्त व दो बाल रोग विभाग में तैनात डाक्टर समेत दो को निलंबित कर दिया।
जानकारी के अनुसार मेडिकल कालेज में बुधवार को डाक्टर मैच खेलते रहे और मासूम की मृत्यु हो जाने की खबर समाचार पत्रों में छपी थी। जिसका संज्ञान लेते हुए प्राचार्य ने गुरुवार को ही एक जांच समिति गठित कर जांच कराई थी। जांच रिपोर्ट मिलने के बाद देर शाम यह कार्रवाई की गई है।
मूसाझाग थाना क्षेत्र के गांव थल्लिया नगला निवासी नाजिम अली की पांच वर्षीय बेटी शौफिया को कई दिनों से बुखार था। बुधवार को बेटी के गले में भी इंफेक्शन हो गया था। उसके गले में असहनीय दर्द होने पर नाजिम अपनी पत्नी के साथ बेटी को लेकर बुधवार को सुबह नौ बजे मेडिकल कालेज पहुंचा था।
जहां पर्चा बनाने के बाद भी किसी डाक्टर ने उसकी बेटी को नहीं देखा। इतना ही नहीं बल्कि इमरजेंसी वार्ड तक में कोई डाक्टर मौजूद नहीं था। वहां मौजूद स्टाफ ने नाजिम और उसकी पत्नी को कभी 114 नंबर कमरे में भेजा तो कभी 130 नंबर कमरे में जाने को कहा गया। वह काफी देर तक डाक्टर को तलाशता रहा। लेकिन कोई डाक्टर नहीं मिला।
पता करने पर बताया गया कि डाक्टरों का क्रिकेट मैच चल रहा है। वह सभी क्रिकेट खेल रहे हैं। मैच खत्म होने के बाद ही वह बच्ची को देखने आएंगे। इसी दौरान इमजेंसी वार्ड के बाहर बच्ची ने मां की गोद में ही दम तोड़ दिया था। जब बच्ची की मृत्यु हो गई तो स्वजन ने हंगामा शुरू कर दिया।
दहाड़ मारकर माता पिता वहीं रोने लगे और मेडिकल कालेज स्टाफ पर आरोप लगाने लगे। जिससे कई लोगों की भीड़ इक्कठा हो गई थी। पुलिस भी पहुंच गई थी। किसी तरह स्वजन को समझा बुझाकर घर भेज दिया गया था। लेकिन हंगामे के दौरान पिता ने अपना दर्द एक वीडियो में बयां किया था जो इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित हो गया।
बुधवार रात तक मेडिकल कालेज के प्राचार्य इस मामले की जानकारी से इन्कार करते रहे। इस हृदय विदारक घटना को दैनिक जागरण ने गुरुवार के अंक में प्रमुखता से प्रकाशित किया था। इसके बाद गुरुवार को मामले में शासन तक से संज्ञान ले लिया गया। जिस पर मेडिकल कालेज के प्राचार्य डा. अरुण कुमार ने तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की। जिसके अध्यक्ष डा. विपिन कुमार, सदस्य डा. नेहा सिंह, डा. सचिन यादव रहे।