नाम तो देवभूमि हुआ ही: भाई के शव को सवारी वाहन में ले जाने को मजबूर हुई बहिन किसी का दिल नहीं पसीजा
हल्द्वानी: देवभूमि के हल्द्वानी से एक हैरान और परेशान कर देने वाली घटना सामने आई है।
इस द्रवित करने वाली घटना ने हर किसी के दिल को झकझोर कर रख दिया है।
यहां एक बहन को अपने भाई की लाश को एंबुलेंस से गांव तक ले जाने के लिए पर्याप्त पैसे नहीं थे तो बहन सवारी वाहन की छत में भाई के शव को बांधकर ले गई।
जानकारी मुताबिउक दोनों भाई-बहन हल्द्वानी में प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते थे। बेरीनाग पिथौरागढ़ के एक गांव की निवासी शिवानी हल्दूचौड़ में एक कंपनी में पिछले छह महीने से काम कर रही थी, घर में आमदनी का जरिया बढ़ाने के लिए अपने 20 वर्षीय भाई अभिषेक को भी कंपनी में काम करने के लिए बुला लिया. दो महीने पहले ही अभिषेक ने हल्दूचौड़ स्थित कंपनी में नौकरी पाई. दोनों भाई-बहन एक ही कंपनी में नौकरी करने लगे। मृतक की बहन शिवानी ने बताया, शुक्रवार सुबह वह और भाई दोनों कंपनी में गए थे, इस दौरान उसका भाई सिर में दर्द होने के कारण कंपनी से छुट्टी लेकर वापस कमरे में चला गया, बहन जब ड्यूटी से कमरे पर लौटी तो भाई को खाना खाने के लिए फोन किया, अभिषेक ने भी खाना खाने के लिए कुछ देर में आने की बात कही. लेकिन कुछ घंटे बाद जब भाई नहीं आया तो शिवानी ने फिर फोन किया। फोन रीसीव नहीं हुआ।
शिवानी ने इसकी सूचना पुलिस को दी, जिसके बाद पुलिस और शिवानी ने अभिषेक की खोजबीन शुरू की, कुछ देर बाद हल्दूचौड़ स्थिति स्वास्थ्य केंद्र के पहले अभिषेक स्कूटी के साथ सड़क पर गिरा हुआ बेहोशी की हालत में मिला। पुलिस अभिषेक को सुशीला तिवारी अस्पताल में लेकर गई. जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.इसके बाद शनिवार को शव का पोस्टमॉर्टम हुआ। उधर घर पर सूचना के बाद रिश्तेदार भी बेरीनाग से हल्द्वानी पहुंच गए। पुलिस ने शव का पोस्टमॉर्टम कराकर शव परिजनों को सौंप दिया, लेकिन शिवानी के पास इतने पैसे नहीं थे कि वह भाई के शव को एंबुलेंस से घर ले जा सके। समाचारों के खबरों के मुताबिक उसने एंबुलेंस संचालकों से बातचीत की तो किसी ने 10 तो किसी ने 12 हजार रुपए शव ले जाने के लिए मांगे। शिवानी ने पैसे की कमी के कारण अपने गांव के टैक्सी संचालक से संपर्क किया. इसके बाद शव को टैक्सी के ऊपर बांधकर बेरीनाग ले जाया गया। खबरों के मुताबिक इस पूरे मामले में मुख्य चिकित्सा अधिकारी नैनीताल हरिश्चंद्र पंत द्वारा एंबुलेंस की मदद मांगने की जानकारी से इंकार किया है। पर घटना को लेकर हर कोई क्षुब्ध है, लोगों का आरोप है कि सुशीला तिवारी अस्पताल के बाहर खड़े रहने वाले नीजि एंबुलेंस संचालक हमेशा तीमारदारों की मजबूरी का फायदा उठाते हैं, इन पर कोई कार्रवाई तो दूर रेट निर्धारित करने तक की जहमत अस्पताल प्रबंधलन और स्वास्थ्य विभाग नहीं उठाता है।
इधर इस सूचना के फैलने के बाद सरकार जरूर सतर्क हुई है, जानकारी अनुसार मुख्यमंत्री ने घटना की जॉंच के निर्देश दिए हैं।