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संस्कृत में गूंजेगा क्रिकेट का रोमांच, कमेंट्री के लिए बनाए गए 150 से ज्यादा नए शब्द

07:31 PM Mar 15, 2025 IST | editor1
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संस्कृत भाषा को आधुनिक खेलों से जोड़ने का एक अनूठा प्रयास उत्तराखंड के श्री रघुनाथ कीर्ति संस्कृत विश्वविद्यालय, देवप्रयाग में किया जा रहा है। यहां चल रही विश्वविद्यालय क्रिकेट प्रतियोगिता में पहली बार संस्कृत में क्रिकेट कमेंट्री की जा रही है, जिससे यह आयोजन ऐतिहासिक बन गया है।

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इस पहल का नेतृत्व डॉ. श्रीओम शर्मा कर रहे हैं, जिन्होंने क्रिकेट से जुड़े 150 से अधिक नए संस्कृत शब्दों का निर्माण किया है। इन शब्दों का उपयोग करते हुए छात्र-छात्राएं पूरे जोश और उत्साह के साथ मैच की लाइव कमेंट्री कर रहे हैं, जिससे खेल प्रेमियों को क्रिकेट का एक नया और अनूठा अनुभव मिल रहा है।

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इस प्रतियोगिता में 18 टीमें भाग ले रही हैं, जिनमें प्रत्येक टीम में दो छात्राएं भी शामिल हैं। संस्कृत के अलावा उत्तराखंड की पारंपरिक भाषाओं, गढ़वाली और कुमाऊँनी में भी कमेंट्री की जा रही है, जिससे इस आयोजन को और अधिक आकर्षक और जीवंत बना दिया गया है।

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डॉ. शर्मा का उद्देश्य संस्कृत को आम जनता के बीच अधिक लोकप्रिय बनाना है, ताकि लोग इस प्राचीन भाषा को सरलता से समझ सकें और इसे अपने दैनिक जीवन में भी अपना सकें। उनका मानना है कि संस्कृत भाषा में किए गए इस प्रयोग से भविष्य में क्रिकेट कमेंट्री का एक नया अध्याय शुरू हो सकता है, जिससे देशभर में संस्कृत प्रेमियों को लाभ मिलेगा।

संस्कृत में क्रिकेट से जुड़े इन नए शब्दों के उपयोग से न केवल इस भाषा को आधुनिक खेलों से जोड़ा जा रहा है, बल्कि यह भी सिद्ध किया जा रहा है कि संस्कृत आज भी एक समृद्ध और जीवंत भाषा है। बल्ले को ‘फलकम्’, गेंदबाज को ‘गेन्दुकक्षेपकः’, चौके को ‘चत्वारः’ और छक्के को ‘षट्’ कहा जा रहा है। इसी तरह कई अन्य शब्द भी बनाए गए हैं, जिनका उपयोग इस रोमांचक कमेंट्री में किया जा रहा है।

संस्कृत क्रिकेट कमेंट्री का यह प्रयास विश्वविद्यालय में एक नई शुरुआत है, जो आने वाले समय में बड़े स्तर पर अपनाया जा सकता है। यदि इस प्रयोग को व्यापक समर्थन मिला, तो भविष्य में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी संस्कृत में क्रिकेट कमेंट्री सुनने का सपना साकार हो सकता है।

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