For the best experience, open
https://m.uttranews.com
on your mobile browser.
Advertisement
अल्मोड़ा की आध्यात्मिक धरोहरों को राज्यपाल ने बताया गौरव का प्रतीक  काकड़ीघाट में ज्ञानवृक्ष के नीचे किया जलाभिषेक

अल्मोड़ा की आध्यात्मिक धरोहरों को राज्यपाल ने बताया गौरव का प्रतीक, काकड़ीघाट में ज्ञानवृक्ष के नीचे किया जलाभिषेक

05:36 PM Jun 07, 2025 IST | उत्तरा न्यूज टीम
Advertisement

उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह ने अल्मोड़ा जनपद के प्रसिद्ध कसार देवी मंदिर पहुंचकर वहां पूजा-अर्चना की और समस्त मानव जाति के कल्याण की प्रार्थना की. इस दौरान उन्होंने मंदिर परिसर में बैठकर ध्यान भी लगाया और वहां की दिव्यता को बेहद शांतिपूर्ण और अद्भुत अनुभव बताया. उन्होंने कहा कि उन्हें एक बार फिर इस पवित्र स्थान पर आने का अवसर मिला, यह उनके लिए सौभाग्य की बात है.

Advertisement

राज्यपाल ने मंदिर की पौराणिकता और वातावरण की भूरि-भूरि प्रशंसा की. उन्होंने कहा कि कसार देवी मंदिर अपने आप में एक अनूठा केंद्र है, जहां भीतर से शांति का गहरा अनुभव होता है. यह स्थान न केवल ध्यान के लिए उपयुक्त है बल्कि आत्मा को स्पर्श करने वाली ऊर्जा से परिपूर्ण भी है. उन्होंने कहा कि यह वही स्थान है जहां स्वामी विवेकानंद जैसे महान संत ने साधना की थी और ऐसी जगह की दिव्यता को शब्दों में बयां करना मुश्किल है.

Advertisement

राज्यपाल ने देश और दुनिया के लोगों से अपील की कि वे उत्तराखंड के इस अलौकिक स्थान पर जरूर आएं और यहां की आध्यात्मिक गरिमा को महसूस करें. उन्होंने कहा कि अल्मोड़ा में केवल कसार देवी ही नहीं बल्कि जागेश्वर धाम, गोलू देवता मंदिर और कटारमल सूर्य मंदिर जैसे कई स्थल हैं, जो ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं. उन्होंने कहा कि यहां की संस्कृति और परंपराएं अपने आप में मंत्रमुग्ध कर देने वाली हैं. जो भी एक बार यहां आता है वह बार-बार आने का मन बनाता है.

Advertisement

राज्यपाल ने आगे काकड़ीघाट स्थित ऐतिहासिक ज्ञानवृक्ष के दर्शन किए और वहां भी उन्होंने जलाभिषेक कर पूजा की. उन्होंने यह स्थल स्वामी विवेकानंद के चिंतन और आत्मिक विकास की महत्वपूर्ण जगह बताया. उन्होंने कहा कि काकड़ीघाट केवल एक तीर्थ नहीं बल्कि ऊर्जा का ऐसा स्रोत है जो आज भी हर उस व्यक्ति को प्रेरणा देता है जो जीवन की गहराई को समझना चाहता है. यहां बैठकर उन्होंने विवेकानंद जी की अनुभूतियों को आत्मसात करने की कोशिश की और बताया कि उन्हें भी एक विशेष ऊर्जा का आभास हुआ.

इस दौरे के अंत में राज्यपाल ने यह भी कहा कि यह गर्व की बात है कि वह ऐतिहासिक पीपल का वृक्ष जिसके नीचे स्वामी विवेकानंद ने साधना की थी उसे वैज्ञानिक तरीकों से जीवित रखा गया है. यह न सिर्फ उत्तराखंड की धरोहर है बल्कि पूरे भारतवर्ष के लिए गौरव का प्रतीक है. उन्होंने स्थानीय प्रशासन और मंदिर समिति की सराहना की जो इस धरोहर को संजोए हुए हैं.

Advertisement

उनके साथ इस दौरान जिले के प्रशासनिक अधिकारी, पुलिस के वरिष्ठ पदाधिकारी और मंदिर समिति के कई लोग मौजूद रहे. सभी ने मिलकर इस ऐतिहासिक अवसर को यादगार बनाया.

Advertisement