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उत्तर प्रदेश के शामली जिले के थानाभवन के निरालसी उर्फ कारगढ़ के प्रधान ने बेटे की शादी में वधू पक्ष की तरफ से दिए गए 11 लाख नगद और लाखों के जेवरात हाथ जोड़कर वापस कर दिए। उन्होंने शादी में दिया गया सारा सामान भी वधू पक्ष को लौटा दिया।
इस दौरान उन्होंने शगुन के तौर पर सिर्फ एक रुपये ही लिया। उन्होंने सर्व समाज के सामने दहेज न लेने की बात कहते हुए इस कुरीति को जड़ से खत्म करने की लोगों से भी गुहार लगाई है।
थानाभवन क्षेत्र के गांव निरालसी उर्फ कारदगढ़ के ग्राम प्रधान प्रमोद राणा के बेटे गर्वेश राणा की शादी 25 नवंबर को खतौली के रतनपुरी थानाक्षेत्र के गांव मुजाहिद पुर में पवन सोम की बेटी अर्पण उर्फ अराध्या से हुई। गांव मुजाहिदपुर में कारगढ़ से बारात पहुंची। शादी की सभी रस्में रीति रिवाज अनुसार हुई।
गोरे की रस्म में बेटी पक्ष से पिता पवन सोम ने दुल्हे गर्वेश को शगुन के रूप में 11 लाख रुपये नकद और लगभग चार लाख रुपये के जेवरात भेंट किए। तभी बेटे के पिता प्रमोद राणा खड़े हुए और सामाज से माफी मांगते हुए कहा कि मैं लड़की के पिता और उनके परिवार की भावनाओं का आदर करता हूं। मगर शादी में दिया जा रहा शगुन हमें स्वीकार नहीं है। मैं अपने बेटे का रिश्ता एक रुपये में करना चाहता हूं। लिहाजा मुझे शगुन के रूप में केवल एक रुपया ही दिया जाए।
दूल्हे के पिता के ऐसा कहने पर वहां मौजूद सभी लोगों ने ताली बजाकर उनका स्वागत किया। लड़की पक्ष की ओर से अन्य घरेलू सामान भी देने के लिए रखा था लेकिन प्रमोद राणा ने वह भी लौटा दिया। प्रमोद राणा ने बताया कि उनका बेटा वकालत की पढ़ाई पूरी कर चुका है। वह चाहते हैं कि शादियों में दहेज प्रथा पूरी तरह से खत्म होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि उनके छोटे बेटे का भी रिश्ता तय हो चुका है। छोटे बेटे की शादी भी बिना दहेज के ही करेंगे।