हर जरूरी खबर

For the best experience, open
https://m.uttranews.com
on your mobile browser.
Advertisement
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ताजा रिपोर्ट ने बढ़ाई चिंता  गंगा में आचमन के लिए भी नहीं बचेगा जल

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ताजा रिपोर्ट ने बढ़ाई चिंता, गंगा में आचमन के लिए भी नहीं बचेगा जल

04:33 PM Nov 21, 2024 IST | editor1
Advertisement

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से अक्तूबर में जारी रिपोर्ट में बताया गया है कि अक्तूबर में एसटीपी से गंगा में गया पानी सितंबर की तुलना में अधिक खराब रहा। जल निगम व जल संस्थान के सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से निकलने वाले पानी ने अक्तूबर में भी गंगा को प्रदूषित किया।

Advertisement
Advertisement

Advertisement

रिपोर्ट की माने तो ओल्ड सस्पेंशन चमोली के एसटीपी (.05 एमएलडी) से सितंबर में निकले पानी में फीकल कोलीफॉर्म की मात्रा 280 मोस्ट प्रोबेबल नंबर (एमपीएन) थी, जो अक्तूबर में 1600 एमपीएन पर पहुंच गई है।

Advertisement

Advertisement

गंगोत्री में फीकल कोलीफॉर्म की मात्रा 540 से 920 एमपीएन पर पहुंच गई। बदरीनाथ में यह मात्रा 920 एमपीएन तक है। पीसीबी की रिपोर्ट से जल संस्थान में खलबली मची है। मुख्यालय से टिहरी, चमोली, रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी, हरिद्वार, नैनीताल, देहरादून के इंजीनियरों को दिनभर निर्देश जारी किए जाते रहे।

इस संबंध में महाप्रबंधक डीके सिंह ने बताया कि रिपोर्ट निर्धारित मानकों के अनुरूप नहीं पाई गई है। उन्होंने तीन दिन में दो और लैबों से सैंपल लेकर रिपोर्ट मुख्यालय को भेजने के निर्देश दिए। सिंह ने निर्देश दिए कि एसटीपी का संचालन निर्धारित मानकों के अनुरूप किया जाए। रखरखाव और संचालन में गड़बड़ी मिलने पर उन्होंने सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी है।


पीसीबी की रिपोर्ट में एसटीपी से निकलने वाले पानी को एनजीटी के मानकों के अनुरूप सही नहीं बताया जा रहा है। एनजीटी के मानकानुसार एसटीपी से निकलने वाले पानी में फीकल कोलीफॉर्म की मात्रा 230 एमपीएन तक होनी चाहिए।

दूसरी तरफ , जल संस्थान के डिवीजनों से जो रिपोर्ट मुख्यालय भेजी जा रही है, उसमें मात्रा, मानकानुसार बताई जा रही है। इस पर जीएम सिंह ने बताया कि कई बार सैंपल लेने के तरीके से भी रिपोर्ट में अंतर की संभावना रहती है। इसे ध्यान में रखते हुए पानी के सैंपल दोबारा लेकर जांच को भेजे जा रहे हैं।

Advertisement
×