उत्तर प्रदेश में आगरा के बहुचर्चित पनवारी कांड में 35 साल बाद आया फैसला, 36 दोषी करार,15 बरी
उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के चर्चित पनवारी कांड में अब 35 साल बाद फैसला लिया गया है। न्यायालय ने 36 आरोपियों को दोषी करार दिया। वहीं 15 आरोपियों को बरी कर दिया गया।
साल 1990 में हुए पनवारी कांड में 34 वर्षों बाद अदालत ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया। अनुसूचित जाति और जाट समुदाय के बीच में टकराव में एससी/एसटी मामलों की विशेष न्यायालय ने कुल 78 आरोपितों में से 36 आरोपियों को दोषी ठहराया है, जबकि 15 लोगों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया गया।
अब 30 मई को दोषियों को सजा दी जाएगी। 27 आरोपियों के अब तक इनमें से मौत हो चुकी है।
21 जून 1990 को सिकंदरा थाना क्षेत्र स्थित पनवारी गांव में अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखने वाले चोखेलाल जाटव की बेटी मुंद्रा की शादी थी।
बारात नगला पदमा से आनी थी, लेकिन स्थानीय जाट समुदाय के लोगों ने दलित परिवार की बरात को चढ़ने से रोक दिया। इस पर विवाद बढ़ गया और अगले दिन जब प्रशासनिक अधिकारियों की उपस्थिति में दोबारा बारात चढ़ाने की कोशिश की गई, तो 5 से 6 हजार लोगों की भीड़ ने इसका विरोध किया।विवाद ने तेजी से आग पकड़ी और हिंसा भड़क गई। देखते ही देखते गांव में दंगे जैसे हालात बन गए। कई घरों को आग के हवाले कर दिया गया।
22 जून 1990 को सिकंदरा थाने में तत्कालीन एसओ ओमवीर सिंह राणा ने एक राहगीर की सूचना पर एफआईआर दर्ज कराई। 6000 अज्ञात लोगों के खिलाफ बलवा, जानलेवा हमला, एससीएसटी एक्ट और कई गंभीर धाराओं में लिखा गया।
इसके बावजूद मौके से एक भी गिरफ्तारी नहीं हो सकी। पुलिस ने इस मामले की जांच के बाद कुल 80 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी।
इस मामले में भाजपा विधायक चौधरी बाबूलाल भी आरोपी थे। लेकिन उन्हें साल 2022 में एमपी-एमएलए कोर्ट से बरी कर दिया गया था। अब कोर्ट ने बाकी आरोपियों के मामले में सुनवाई पूरी कर ली है।
कोर्ट ने 35 गवाहों के बयान सुने हैं। सुबूतों की कसौटी पर 36 लोगों को दोषी करार दिया गया है। इनमें से 32 को कोर्ट ने तुरंत जेल भेज दिया, बाकी की सजा 30 मई को खुले अदालत में सुनाई जाएगी।