पहाड़ में कृषि को बचाने को पर्वतीय कृषि रक्षा समिति के गठन की जरूरत
अल्मोड़ा:: सरकार द्वारा कृषि के क्षेत्र में किए जा रहे भारी खर्च तथा स्थानीय कृषि उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए किए जा रहे प्रचार प्रसार के बावजूद पर्वतीय क्षेत्र में निरंतर सिमटते जा रहे कृषि क्षेत्र से चिंतित कुछ जागरूक किसानों, नागरिकों ने आज अल्मोड़ा जिला मुख्यालय से 30किलोमीटर दूर मनिआगर नामक स्थान में बैठक की ।
बैठक में अधिकांश लोगों का मत था कि जंगली एवं आवारा पशुओं द्वारा किसानों की फसलों को बर्बाद कर दिए जाने के कारण किसान कृषि कार्य से विमुख होते जा रहे हैं । कुछ वर्ष पूर्व तक स्थानीय फसलों से लहलहाते खेत आज बंजर हो गये हैं जिससे पलायन तेज हो गया है तथा गांव खाली ही नहीं हो रहे बल्कि जंगली झाड़ियों से घिर गये हैं परिणाम स्वरूप गांवों में बचे -खुचे लोगों के लिए जान माल का भी खतरा उत्पन्न हो गया है।
बैठक में यह बात भी सामने आई कि कृषि विभाग सहित अनेक अन्य संस्थाओं द्वारा कृषि विकास के प्रचार प्रसार में भारी खर्च किया जा रहा है किन्तु जंगली, आवारा जानवरों से फसलों को बचाने, जंगली जानवरों की शरणगाह बन चुकी जंगली झाड़ियों को कटाने के लिए पर्याप्त सहायता उपलब्ध नहीं कराई जा रही है। इसलिए कृषि विकास के प्रयासों की उपलब्धि नकारात्मक परिणाम दे रही है।
इसी प्रकार पर्वतीय क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल परिवहन सिंचाई की स्थिति भी अपेक्षाकृत बहुत दयनीय है ।
बैठक में इन सब स्थितियों पर विचार करते हुए सरकार और संबंधित विभागों का इस ओर ध्यान आकर्षित करने के उद्देश्य के लिए पर्वतीय कृषि रक्षा समिति के गठन का निर्णय लिया गया तथा 16 जून को जिलाधिकारी सहित जनपद स्तरीय संबंधित अधिकारियों से मिलकर क्षेत्र की विभिन्न समस्याओं के समाधान हेतु मांग पत्र देने का भी निर्णय लिया गया।
बैठक में हरीश डालाकोटी, शिवदत्त पांडे, केशव दत्त मिश्रा, ब्रह्मानन्द डालाकोटी, लक्ष्मण सिंह, गंगा सिंह,भूपाल सिंह,भीम सिंह बगड्वाल,देवनाथ गोस्वामी, बसंत बल्लभ जोशी, सुंदर सिंह चम्याल,दीपक मिश्रा आदि ने भागीदारी की बैठक की अध्यक्षता ब्रह्मानन्द डालाकोटी ने की तथा संचालन केशव दत्त मिश्रा ने किया।