उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में स्थित चितई मंदिर अपनी अनूठी परंपराओं और भव्य वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है बल्कि स्थानीय लोगों की आस्था और संस्कृति का भी प्रतीक है।गोल्ज्यू देवता: न्याय के देवताचितई मंदिर में मुख्य रूप से गोल्ज्यू देवता की पूजा की जाती है। कुमाऊं क्षेत्र में गोल्ज्यू देवता को न्याय के देवता के रूप में पूजा जाता है। मान्यता है कि वे लोगों की समस्याओं का समाधान करते हैं और न्याय दिलाते हैं।चिट्ठियों की अनोखी परंपराइस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि यहां भक्त अपनी समस्याएं और मनोकामनाएं लिखकर देवता को समर्पित करते हैं। वे सफेद कागज पर अपनी अर्जी लिखते हैं और मंदिर में लगी हुई दीवार पर चिपका देते हैं। मान्यता है कि गोल्ज्यू देवता इन अर्जियों को सुनते हैं और भक्तों की मदद करते हैं।हजारों घंटियों का संग्रहमंदिर परिसर में हजारों घंटियां लटकी हुई हैं। ये घंटियां उन भक्तों द्वारा चढ़ाई जाती हैं जिनकी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। इन घंटियों की खनखनाहट मंदिर के वातावरण को और अधिक पवित्र बनाती है।कैसे पहुंचेचितई मंदिर अल्मोड़ा से लगभग 9 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां पहुंचने के लिए आप काठगोदाम रेलवे स्टेशन या पंतनगर हवाई अड्डे का उपयोग कर सकते हैं।यात्रा का सबसे अच्छा समयअल्मोड़ा की यात्रा करने का सबसे अच्छा समय मार्च से जून और सितंबर से नवंबर के बीच होता है। इस दौरान यहां का मौसम सुहावना रहता है।चितई मंदिर की यात्रा क्यों करें?अनोखी परंपरा: चिट्ठियों की परंपरा और हजारों घंटियों का संग्रह इस मंदिर को अन्य मंदिरों से अलग बनाता है।शांति का अनुभव: मंदिर का शांत वातावरण आपको तनाव से मुक्त करने में मदद करेगा।स्थानीय संस्कृति: आप यहां स्थानीय संस्कृति और परंपराओं के बारे में जान सकते हैं।प्रकृति का आनंद: अल्मोड़ा की प्राकृतिक सुंदरता का आनंद ले सकते हैं।इन बातों का रखे ध्यानमंदिर में साफ-सुथरे कपड़े पहनकर जाएं।मंदिर परिसर में शोर न करें।स्थानीय लोगों का सम्मान करें।मंदिर में फोटोग्राफी करते समय सावधान रहें।