अल्मोड़ा, 11 जनवरी: उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी (उपपा) ने बागेश्वर जिले में दशकों से चल रहे खड़िया खनन पर नैनीताल उच्च न्यायालय द्वारा स्वतः संज्ञान लेते हुए रोक लगाने के फैसले का स्वागत किया है। उपपा के केंद्रीय अध्यक्ष पी.सी. तिवारी ने इस फैसले को क्षेत्र की खेती-किसानी और पर्यावरण के संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बताया।4 दशकों से जारी है खड़िया खनन की अंधेरगर्दीपी.सी. तिवारी ने कहा कि पिछले 40 वर्षों में खड़िया खनन ने न केवल क्षेत्र की खेती-किसानी को बर्बाद किया, बल्कि पर्यावरण को भी गंभीर नुकसान पहुंचाया। हालांकि, इस मुद्दे पर लंबे समय से आवाजें उठाई जा रही थीं, लेकिन सत्ता और प्रशासन में बैठे भ्रष्ट राजनेताओं और नौकरशाहों ने जनता की चिंताओं को अनदेखा कर दिया।उपापा ने की भ्रष्टाचार और अनियमितताओं की जांच की मांगउपपा ने उम्मीद जताई कि उच्च न्यायालय खड़िया खनन से जुड़े भ्रष्टाचार, लीज स्वीकृति में हुई अनियमितताओं, और खनन मलबे के निस्तारण में अपनाई गई लापरवाहियों की भी जांच करेगा। तिवारी ने आरोप लगाया कि खनन स्वीकृतियों के एवज में कई जिलाधिकारियों ने अपने करीबी लोगों को लाभ पहुंचाया है। उन्होंने ऐसे अधिकारियों की संपत्तियों की जांच की भी मांग की।राजनेताओं और नौकरशाहों की भूमिका संदेह के घेरे मेंउपपा ने कहा कि उच्च न्यायालय के स्वतः संज्ञान लेने के बाद जो तथ्य सामने आ रहे हैं, वे राजनेताओं और नौकरशाहों की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े करते हैं। तिवारी ने समाज से अपील की कि वह इस मामले में सतर्क और सक्रिय रहे, ताकि इस प्रकार की लापरवाही और भ्रष्टाचार भविष्य में रोके जा सकें।समाज की सतर्कता आवश्यकउपपा ने कहा कि यह समाज की जिम्मेदारी है कि वह ऐसे मुद्दों पर जागरूक होकर सक्रिय भूमिका निभाए। उन्होंने उच्च न्यायालय के इस फैसले को पर्यावरण संरक्षण और पारदर्शिता की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम बताया।