For the best experience, open
https://m.uttranews.com
on your mobile browser.
Advertisement
संत प्रेमानंद ने जब खुद को मौत के लिए तैयार बताया  तो हर कोई सहम गया  बोले अब कुछ भी हो सकता है
Oplus_131072

संत प्रेमानंद ने जब खुद को मौत के लिए तैयार बताया, तो हर कोई सहम गया, बोले अब कुछ भी हो सकता है

07:39 PM Jun 07, 2025 IST | उत्तरा न्यूज टीम
Advertisement

संत प्रेमानंद महाराज का नाम आज किसी परिचय का मोहताज नहीं है. देश के कोने-कोने से ही नहीं. बल्कि विदेशों से भी लोग उनके पास अपनी समस्याएं लेकर आते हैं. हर कोई यही चाहता है कि संत प्रेमानंद उनकी उलझनों का कोई सीधा और सच्चा रास्ता बता दें. इसी बीच हाल ही में उनके पास एक ऐसा युवक पहुंचा. जिसकी हालत देखकर वहां मौजूद हर कोई हैरान रह गया. उसने कहा कि जब से कोरोना का दौर शुरू हुआ है. तब से वो हर वक्त बस हाथ धोता रहता है. उसे लगता है कि उसके चारों ओर वायरस हैं. अगर उसने हाथ नहीं धोए. तो कुछ बहुत बुरा हो सकता है. दिन भर में वो दो सौ से तीन सौ बार तक हाथ धो डालता है. ये देखकर उसकी मां भी रोने लगती है.

Advertisement

युवक की ये हालत सुनकर संत प्रेमानंद कुछ पल शांत रहे. फिर बोले. इसमें डरने की क्या बात है. मेरी तो दोनों किडनियां खराब हो चुकी हैं. मैं हर रोज डायलिसिस करवा रहा हूं. किसी भी वक्त कुछ भी हो सकता है. मगर मैं बिल्कुल भी नहीं डरता. मरने के लिए पूरी तरह तैयार हूं. मुझे एक संत ने पहले ही बता दिया था कि मेरी उम्र अस्सी साल तक है. अब जब मौत सामने है. तब भी मैं शांत हूं. और तुम हो कि जवान होकर भी खौफ में जी रहे हो.

Advertisement

युवक ने फिर कहा कि महाराज जी मैं बाहर निकलने से डरता हूं. अगर किसी वजह से जाना भी पड़ जाए. तो लौटकर कई-कई घंटे तक नहाता हूं. खुद को साबुन से पूरी तरह धो डालता हूं. बस और ऑटो जैसी जगहों पर तो मैं बिल्कुल नहीं जा सकता. वहां भी मुझे बस संक्रमण ही नजर आता है.

Advertisement

संत ने मुस्कराते हुए कहा. बेटा इतनी चिंता किस बात की है. क्या तूने कभी मुझे शिकायत करते सुना. मुझे देख. मौत सिर पर है. फिर भी मैं मस्त हूं. डरने से कुछ नहीं रुकता. जिंदगी को जीना है. तो खुलकर जियो. और हां. बस शौच के बाद अच्छे से हाथ धोना. बाकी बार-बार हाथ धोकर तुम खुद को थका रहे हो.

इसी दौरान वहां बैठे एक शख्स ने बातचीत के बीच में कहा. वो एक डॉक्टर है. और उसे लगता है कि इस युवक को मानसिक बीमारी है. जिसे मेडिकल भाषा में ओसीडी कहा जाता है.

Advertisement

संत प्रेमानंद ने उसे भी सुना. और युवक की ओर देखते हुए फिर बोले. देखो बेटा. जीवन बहुत छोटा है. उसे डर के हवाले मत करो. भरोसा रखो. एक बार खुद पर और ईश्वर पर विश्वास करके बाहर निकलो. देखना कुछ नहीं होगा. मैं निडर हूं. क्योंकि मैंने जीना सीख लिया है. तुम भी जीना सीखो. डरकर नहीं. विश्वास के साथ.

Advertisement