हर जरूरी खबर

For the best experience, open
https://m.uttranews.com
on your mobile browser.
Advertisement
नहीं रहे लेखक  कवि और संस्कृतिकर्मी विजय गौड़  साहित्य और संस्कृति जगत में शोक की लहर

नहीं रहे लेखक, कवि,और संस्कृतिकर्मी विजय गौड़, साहित्य और संस्कृति जगत में शोक की लहर

10:32 PM Nov 21, 2024 IST | Newsdesk Uttranews
Advertisement

21 नवंबर 2024, देहरादून।
लेखक, कवि, आलोचक और रंगकर्मी विजय गौड़ का निधन हो गया है,वे 56 साल के थे। गुरुवार सुबह लगभग 7 बजे उन्होंने देहरादून के मैक्स अस्पताल में अंतिम सांस ली। उनका निधन साहित्य और संस्कृति जगत के लिए अपूरणीय क्षति है।

Advertisement
Advertisement


विजय गौड़ का जन्म 16 मई, 1968 को देहरादून में हुआ था, लेकिन उनका मूल निवास उत्तराखंड के चमोली जिले में था। वे उत्तराखंड आंदोलन के दौरान नुक्कड़ नाटकों के जरिए समाज को जागरूक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले सांस्कृतिक योद्धा थे। वर्तमान में वे रक्षा संस्थान के उत्पादन विभाग में कार्यरत थे और अपनी जीवटता के लिए जाने जाते थे। मृत्यु से पहले वे नाटक 'बर्फ' की रिहर्सल में व्यस्त थे।

Advertisement


साहित्यिक योगदान
विजय गौड़ बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे। उन्होंने कविता, कहानी और उपन्यासों के जरिए साहित्य जगत में अपनी अमिट छाप छोड़ी। उनके तीन कविता संग्रह-'सबसे ठीक नदी का रास्ता','मरम्मत से काम बनता नहीं' और'चयनित कविताएँ' प्रकाशित हो चुके हैं। इसके अलावा, उनके तीन उपन्यास- 'फाँस', 'भेटकी'* और 'आलोकुठि' भी साहित्य प्रेमियों के बीच खासे लोकप्रिय रहे। उनके दो कहानी संग्रह- 'खिलंदड़ ठाट' और 'पोंचू' भी उनकी लेखनी की गहराई को दर्शाते हैं। उनकी रचनाओं में समाज के प्रति गहन संवेदनशीलता और मानवीय पक्षों का सजीव चित्रण देखने को मिलता है।

Advertisement


बीते 18 अक्टूबर को ही विजय गौड़ की बेटी पवि का विवाह संपन्न हुआ था। परिवार में खुशी का माहौल अचानक दुःख में बदल गया,जब बीते रविवार को उनका स्वास्थ्य बिगड़ने लगा। पहले कनिष्क अस्पताल और फिर मैक्स अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टरों ने बताया कि उन्हें बड़ा हार्ट अटैक आया है। हालांकि, उनकी धमनियों में स्टंट डालने की प्रक्रिया सफल रही, लेकिन उनकी हालत लगातार बिगड़ती गई। अंततः 16 नवंबर, गुरुवार को उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया।

Advertisement


गुरुवार को हरिद्वार के खड़खड़ी घाट पर विजय गौड़ का अंतिम संस्कार किया गया। इस मौके पर देहरादून के साहित्यकार, बुद्धिजीवी, रंगकर्मी और उनके प्रशंसकों ने उन्हें अश्रुपूरित श्रद्धांजलि अर्पित की। उनकी मृत्यु से साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में एक शून्य उत्पन्न हो गया है जिसे भर पाना मुश्किल है।विजय गौड़ के निधन से उत्तराखंड की सांस्कृतिक और साहित्यिक धरोहर को गहरा आघात पहुंचा है। वे अपने विचारों, रचनाओं और सांस्कृतिक कर्मों के जरिए हमेशा याद किए जाएंगे।

Advertisement
×