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24 पेज का लिखा सुसाइड नोट  मेरी अस्थियां बहा देना गटर में…  पत्नी से परेशान होकर अपने ही हाथों कर ली जीवनलीला समाप्त  वायरल हो रही अतुल की अंत की कहानी

24 पेज का लिखा सुसाइड नोट, मेरी अस्थियां बहा देना गटर में…. पत्नी से परेशान होकर अपने ही हाथों कर ली जीवनलीला समाप्त, वायरल हो रही अतुल की अंत की कहानी

12:29 PM Dec 11, 2024 IST | editor1
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एक शख्स ने अपनी पत्नी की वजह से आत्महत्या कर ली और इससे पहले उसने 24 पन्नो का सुसाइड लिखा।
वहीं उसने लास्ट समय में एक वीडियो भी बनाया जो सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है जिसमें उसने कहा…नमस्ते मेरा नाम अतुल सुभाष है। बेंगलुरु में रहता हूं और मैं सुसाइड कमिट करने जा रहा हूं। कोर्ट के बाहर किसी गटर में बहा देना मेरी अस्थियों को मेरी गुजारिश है कि मेरे मरे हुए शरीर के आसपास मेरी पत्नी और उसके परिवार का कोई नहीं आना चाहिए। मेरा अस्थि विसर्जन तब तक नहीं होना चाहिए जब तक मेरे हर आरोपी को सजा नहीं मिलती।

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बता दें कि मंगलवार की सुबह से एक एआई इंजीनियर की सुसाइड की कहानी ट्रेंड कर रही है। उसका जौनपुर Jaunpur भी X पर टॉप ट्रेंड करता रहा।

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दरअसल बेंगलुरू में एक शख्स ने घरेलू कलह, पत्नी की झूठी मुकदमेबाजी और ससुरालियों की हर रोज प्रताड़ित होने की वजह से परेशान होकर 24 पेज का सुसाइड नोट लिखा। उसने मरने से पहले करीब 1 घंटा 21 मिनट वीडियो भी बनाया था। जिसमें उसने अपने घर के अंदर एक कार्ड में यहां तक कि सुसाइड नोट में लिखा- 'न्याय बाकी है'. ये संदेश उसका दर्द और पीड़ा बताने के लिए काफी था। इस तरह अपने दिल का सारा बोझ और गुबार उतारने के बाद एक टैलेंटेड एआई इंजीनियर अतुल सुभाष ने अपने ही हाथों से अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। उसके अंत की कहानी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है।

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आपको बता दे कि मृतक का नाम अतुल सुभाष था,वह यूपी का रहने वाला था। बेंगलुरू की एक टेक कंपनी में अच्छी खासी नौकरी कर रहा था। मरने से पहले उसने जिन शब्दों में अपना दर्द बयान किया वह कहानी किसी भी संवेदनशील शख्स को झकझोर कर रख देगी। उसके साथ इतना बुरा हुआ कि वह अंदर से पूरी तरह से टूट गया था। यह जानकर आप भी इमोशनल हो जाएंगे और आपकी आंखे छलक पड़ेंगीं।

उसने मरने से पहले जो वीडियो बनाया उसमें अपनी आखिरी इच्छा बताई। उसने कहा - 'मेरी मौत के लिए पत्नी निकिता सिंघानिया, सास निशा सिंघानिया, मेरा साला अनुराग सिंघिया उर्फ पीयूष सिंघानिया, चचिया ससुर सुशील सिंघानिया जिम्मेदार होंंगे। मुझे इस हालत पर ला खड़ा किया है कि मेरे पास सुसाइड करने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है। हमसे पैसे ऐंठने के लिए पत्नी और ससुराल वालों ने बड़ी साजिश रची। मेरे मरने के बाद अंतिम संस्कार में पत्नी के परिवार वालों का कोई शख्स नहीं आना चाहिए। अगर मुझे बर्बाद करने वालों को सजा नहीं मिली तो मेरी अस्थियां वहीं कोर्ट के बाहर के गटर में बहा देना।'

इस वीडियो को देखकर लोगों को पता लगेगा कि कैसे एक लड़की इस कानूनी व्यवस्था का इस्तेमाल कर आपके अपने ससुराल को बर्बाद कर सकती है। अतुल ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा, 'अब तक 120 से अधिक बार केस की सुनवाई हुई और कम से कम 40 बार बेंगलुरु से जौनपुर आना-जाना पड़ा। बकौल अतुल ज्यादातर तारीखों पर कोर्ट में कोई काम नहीं होता, कभी जज न होते, तो कभी कोई और मजबूरी। बस तारीख पर तारीख। जौनपुर की प्रिंसिपल फैमिली कोर्ट जज ने तो बकायदा 3 करोड़ रुपये की एलिमनी देने का दबाव बनाया । आगे उसने कहा, कचेहरी में तो पेशकार से लेकर लोगों को रिश्वत देनी पड़ती है। जब मैंने घूस देने से मना किया तो हर महीने 80 हजार रुपये मेंटिनेंस देने का आदेश जारी हो गया

मरने से पहले अतुल ने अदालत से अपील की कि अब उसके मां-बाप को परेशान न किया जाए। आखिरी वक्त में उसने पत्नी से कहा प्लीज बच्चे की परवरिश मेरे माता-पिता को दे देना। अपने एक-एक गम को याद कर उसे विष की तरह पीते हुए अतुल ने ये तक कह दिया कि उसकी अस्थियों तब तक विसर्जित न की जाएं जब तक इंसाफ न मिल जाए। उसने कहा कि अगर इंसाफ न मिले तो मेरी अस्थियां कोर्ट के सामने गटर में बहा देना।

सुसाइड से ठीक पहले सुभाष ने कहा, पत्नी ने मेरे खिलाफ नौ केस दर्ज कराएं हैं। 6 केस लोवर कोर्ट में और तीन हाईकोर्ट में है। जिंदगी खत्म करने यानी इतना बड़ा कदम उठाने से पहले रिकॉर्ड किए उस वीडियो में सुभाष ने कहा, '2022 से चीजों को संभालना बस के बाहर हो गया था। उसके परिजनों ने एक केस हत्या, दूसरा दहेज उत्पीड़न और तीसरा अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने का दायर किया था।कुछ केस पत्नी ने वापस ले लिए थे। सुभाष ने दावा किया कि उसकी पत्नी ने स्वीकार किया कि उसने पहले जो हत्या के आरोप लगाए थे, कि उसके पिता की मृत्यु अतुल के उनसे बड़ी रकम मांगने के कारण लगे सदमे से हुई, वो झूठ थे।

वीडियो में मरने से पहले अतुल ने बताया, 'पत्नी ने अपने और बेटे के लिए 2 लाख रुपये के मासिक भरण-पोषण की मांग की। मेरे बच्चों को उसने छीन लिया था। मेरे ऊपर सबसे पहले घरेलू हिंसा का मुकदमा लिखाया गया, जिसे बाद में वापस ले लिया. हालांकि, बाद में उसने उसके खिलाफ एक नया घरेलू हिंसा का मामला दायर किया और मामले की कार्यवाही में तेजी लाने के लिए दो आवेदन सौंपे थे।

इतने सारे एविडेंस… सब कुछ होने के बाद भी अगर कोर्ट जज और बाकी के आरोपियों को सजा नहीं देती है तो मेरी अस्थियां वहीं कोर्ट के बाहर किसी गटर में बहा देनी चाहिए। ताकि मैं जान जाऊं कि इस देश में क्या वैल्यू है एक लाइफ की। मैं इसलिए भी सुसाइड कर रहा हूं क्योंकि मेरी कमाई पर डाका डालने के लिए इतना सब खेल रचा जा रहा था। कोर्ट से लेकर बाकी घूस की डिमांड करने वालों के मूल कारण में मेरा ही पैसा था जो एक गलत सिस्टम के काम आ रहा था। इसलिए अब मैं उस सोर्स ऑफ इनकम को ही खत्म कर रहा हूं, जिसके लालच में लोग मेरे और मेरे परिवार के पीछे पड़ कर रह गए।

खुद को खत्म कर लेना ही बेस्ट है क्योंकि मैं जो पैसा कमा रहा हूं उसी से अपने दुश्मन को बलवान बना रहा हूं. मेरा पैसा मुझे ही बर्बाद करने के लिए इस्तेमाल हो रहा है. मेरे TAX के पैसे से ये पुलिस, ये कोर्ट, ये सिस्टम मुझे और मेरी फैमिली और बाकी लोगों को भी हैरेस कर रहा है और आगे भी करेगा. तो जो सप्लाई है वैल्यू का, उसी को खत्म कर देना चाहिए

भारत में कानूनों का दुरुपयोग होने को लेकर आज भी चिंता जताई जाती है। ज्युडीशियरी में तमाम बदलावों के बावजूद कई कानूनों का आज भी धड़ल्ले से मिसयूज हो रहा है।यहां बात दहेज कानून की जिसे ढाल मानने के बजाए लोग हथियार बनाकर इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट तक इस पर चिंता जता चुका है। माना जा सकता है कि समाज में कुछ बदलाव आया है, लेकिन कुछ घरों में वो मानसिकता बनी हुई है कि जिसमें शादी के बाद लड़की वाले बेटी की ससुराल में उससे होने वाली कहासुनी पर भी दामाद को दहेज प्रताड़ना के केस में फंसा देते हैं

अपने दिल का सारा बोझ और गुबार उतारने के बाद सुभाष ने अपने हाथों से अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। उसकी ये कहानी अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। लोग ऐसे कानूनों की समीक्षा की मांग कर रहे हैं, जिनके चलते लोग अपनी जान देने को आमादा हैं

अतुल तुम्हारे जानने वाले कहते हैं कि तुम तो बहादुर थे। तुम भाई के सामने मजबूत बनकर हंसते रहते थे। मां-बाप बुढापे में तुम्हारा चेहरा देखकर संतोष कर लेते थे। अब वो क्या करेंगे… दोस्त! चंद केस ही तो थे, निपट जाते। तुम्हें इतना बड़ा कदम उठाने की जरूरत नही थी

सोमवार को बेंगलुरु पुलिस अतुल के घर पहुंची तो दरवाजा बंद था. दरवाजा तोड़कर पुलिस भीतर घुसी तो अतुल का शरीर फंदे से लटका मिला ।कमरे की दीवारों पर लिखा था। JUSTICE IS DUE. 'न्याय अभी बाकी है'। अब अतुल इस दुनिया में नहीं रहे। लेकिन उसकी बातें लोगों के दिमाग में गूंज रहीं है। उसकी बात सुनकर लगता है कि उसने हालात संभालने के लिए वो सब कुछ किया होगा जो उसे जरूरी लगा होगा, लेकिन हालात कभी सामान्य नहीं हो सके और इसी टीस को दिल में लिए अतुल सुभाष की जिंदगी का अप्रत्याशित और दुखद अंत हो गया।

लोग सोशल मीडिया पर उसे इंसाफ दिलाने की मांग कर रहे हैं। लोग अपनी प्रतिक्रिया में बहुत कुछ कह रहे हैं। कहा जा रहा है कि अतुल और निकिता ने भी साथी साथ निभाना जैसी बातें कहकर सात फेरे लिए होंगे।दोनों में कभी तो पटरी खाई होगी। उफ! उस पर इतना जुल्म।इतने दबाव में तो आदमी पागल हो जाता है। सोशल मीडिया के जरिए कहा जा रहा है कि क्या इलाहाबाद हाईकोर्ट या माननीय सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर सुनवाई लेकर इंसाफ देगा? लोग अतुल की पत्नी निकिता सिंघानिया (Nikita Singhania) और उसके रिश्तेदारों को सजा दिलाने की मांग कर रहे हैं।

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