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काशी विश्वनाथ धाम में दर्शन करने पहुंचा फर्जी दरोगा, पकड़े जाने पर मुस्कुराते हुए बोला वर्दी में करना था दर्शन

01:24 PM Aug 05, 2024 IST | उत्तरा न्यूज टीम
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श्री काशी विश्वनाथ के मंदिर में दर्शन करने के लिए एक फर्जी दरोगा पहुंचा जो पुलिस के हत्थे चढ़ गया। अब पुलिस आरोपी से पूछताछ कर रही है। वर्दी पहनकर वह श्रद्धालुओं के भीड़ में मंदिर में दर्शन करने के लिए जा रहा था। बताया जा रहा है कि विश्वनाथ धाम में दर्शन पूजन के लिए शनिवार को श्रद्धालुओं की काफी लंबी लाइन लगी थी। इसी कतार में एक फर्जी दरोगा भी लगा हुआ था जो पकड़ा गया।

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चौक थाने में की गई पूछताछ में उसने अपनी पहचान जालौन जिले के नदी गांव थाना क्षेत्र के सलइयाखुर्द निवासी अभय प्रताप सिंह के रूप में हुई। घरवालों से बात करने पर पता चला कि वह मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं है और उसका ग्वालियर में उपचार चल रहा है। पत्नी से झगड़ा करने के बाद वह शुक्रवार को घर से बाहर निकाला था। अयोध्या होते हुए वह शनिवार को काशी विश्वनाथ आया।

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विश्वनाथ धाम के पूर्वी द्वार के समीप सुबह के समीप श्रद्धालुओं की कतार में दरोगा की वर्दी पहने हुए एक युवक घुस गया। उसकी वर्दी सिकुड़ी और कुछ जगह फटी हुई थी। वर्दी पर नेमप्लेट और बेल्ट पर यूपी पुलिस का लोगो नहीं था। वह पुलिस कैप भी नहीं लगाया था और काले रंग का स्पोर्ट्स शू पहने हुआ था।

वर्दी के अंदर उसने नीले रंग की गोल गले के बनियान पहनी हुई थी। धाम की सुरक्षा व्यवस्था में तैनात पुलिस कर्मियों को दरोगा होने पर शक हुआ तो उन्होंने इंस्पेक्टर चौक विमल मिश्रा को सूचना दी। पुलिस युवक को पकड़ कर चौक थाने ले गई और एसीपी दशाश्वमेध प्रज्ञा पाठक व डीसीपी काशी जोन पहुंचे।

पुलिस ने लगभग 3 घंटे तक युवक से पूछताछ की इसके बाद उसके परिजनों से बात की बताया गया कि युवक मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं है और उसका उपचार भी चल रहा है।

जालौन में ही थाने के बाहर पाया था पुरानी वर्दी पुलिस की गिरफ्त में आया अभय प्रताप सिंह खेती करता है। वह दो बच्चों का पिता है। उसकी पत्नी उर्मिला ने पुलिस को बताया कि उसके पति ऐसे ही कहीं भी चले जाते हैं और फिर वापस आ जाते हैं।

अभय को पुलिस ने पकड़ा तो इस बात के लिए परेशान नहीं दिखा कि उसे जेल भेजा जाएगा। वह मुस्कुरा रहा था। पत्रकारों ने उससे पूछा कि दरोगा की वर्दी पहन कर क्यों आए हो। इस पर उसका कहना था कि वह वर्दी पहन कर देवी-देवताओं के बड़े मंदिरों में दर्शन-पूजन करना चाहता था। अयोध्या में सफलता नहीं मिली तो वह काशी आ गया था।

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