भागवत महापुराण के आध्यात्मिक पहलुओं को उजागर करती है यह पुस्तकअल्मोड़ा : विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान में कार्यरत वरिष्ठ वैज्ञानिक, डॉ रमेश सिंह पाल द्वारा लिखित पुस्तक "मृत्यु से मुक्ति तक" का विमोचन नगर के गणमान्य नागरिकों के बीच एक होटल सभागार में सम्पन्न हुआ।यह पुस्तक "मृत्यु से मुक्ति तक" डॉ पाल की चौथी पुस्तक है, इससे पहले वर्ष 2018 में "अपना स्वरूप" (हिंदी), वर्ष 2020 में "स्पिरिचुअल विजडम"(अंग्रेजी) और वर्ष 2023 में "रूपांतरण के सूत्र" (हिंदी) नामक पुस्तके उनके द्वारा लिखी जा चुकी है। इन सभी पुस्तको को देश की पार्लियामेंट लाइब्रेरी के साथ-साथ, विश्वविद्यालयों औऱ भारत सरकार के प्रतिष्ठित संस्थानों के पुस्तकालयों में सम्मिलित किया गया है।रविवार को हुए पुस्तक विमोचन कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए, रामकृष्ण कुटीर अल्मोड़ा के अध्यक्ष, स्वामी ध्रुवेशानन्द जी महाराज ने कहा कि आजकल की परिवेश को देखते हुए इस तरह की पुस्तकों की प्रासंगिकता और भी बढ़ जाती है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, अल्मोड़ा देवेंद्र पींचा ने कहा कि भागवत महापुराण के प्रसंगों को जिस प्रकार आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दृष्टि प्रदान करते हुए पुस्तक में बताया गया है वह न सिर्फ काबिले तारीफ है बल्कि इससे यह पुस्तक नई पीढ़ी के लिए भी रोचक साबित होगी।कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि, निदेशक विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान डॉ लक्ष्मी कांत ने कहाँ की इस तरह की पुस्तकें हमे एक संतुलित जीवन जीने की राह बताती है।आकाशवाणी अल्मोड़ा के कार्यक्रम निदेशक रमेश चंद्र ने लेखक को बधाई देते हुए, भविष्य में और भी इस तरह की पुस्तकों के लेखन के लिए आग्रह किया।डॉ रमेश सिंह पाल ने श्रीमद्भागवत महापुराण के तथ्यों तथा अपनी पुस्तक के विषय पर प्रकाश डाला। पुस्तक समीक्षा के दौरान आध्यात्म से जुड़े प्रश्नों खुलकर चर्चा की गयी।डाँ. पाल ने सभी अथितियों एवं आगंतुकों का आभार प्रकट करते हुए आज के युवा वर्ग से एक संतुलित और आध्यात्मिक जीवन, जीने का आग्रह किया। बता दे कि डॉ. पाल यूनेस्को समावेशी नीति प्रयोगशाला के लिए भारत के विशेषज्ञ भी हैं।