मूल निवास, भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति की गैरसैंण में हुई एक बैठक में स्थायी राजधानी गैरसैंण और कड़े भू-कानून की मांग को लेकर 21 को विधानसभा घेराव का फैसला लिया गया। बैठक में यह तय किया गया कि 20 अगस्त को मूल निवास-भू-कानून स्वाभिमान आंदोलन के संयोजक मोहित डिमरी के साथ आंदोलनकारी उपवास करेंगे। यह उपवास मूल निवास 1950, स्थायी राजधानी गैरसैंण और सशक्त भू-कानून की मांग को लेकर होगा। इसके बाद, 21 अगस्त को आंदोलनकारी विधानसभा का घेराव करेंगे।बैठक में बोलते हुए मूल निवास, भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति के केंद्रीय संयोजक मोहित डिमरी ने कहा कि 20 अगस्त को गैरसैंण में उपवास के बाद अगले दिन 21 अगस्त को विधानसभा कूच करेंगे और मुख्यमंत्री को मूल निवास 1950, स्थायी राजधानी गैरसैंण, और मजबूत भू-कानून के प्रस्ताव सौपेंगे। उन्होंने कहा कि पहाड़ी राज्य की अस्मिता को बचाने के लिए सरकार को इन सभी मुद्दों पर तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए।स्थायी राजधानी गैरसैंण संयुक्त संघर्ष समिति के अध्यक्ष नारायण सिंह बिष्ट ने कहा कि अब आर-पार की लड़ाई का समय आ गया है। उन्होंने सभी से अपील की कि दलगत राजनीति छोड़कर एकजुट होकर अपने अधिकारों के लिए लड़ा जाए और गैरसैंण के नाम पर सैर-सपाटा बंद हो जाना चाहिए।नगर पंचायत अध्यक्ष पुष्कर सिंह रावत, राज्य आंदोलनकारी संगठन के अध्यक्ष हरेंद्र कंडारी, और मूल निवास, भू-कानून संघर्ष समिति के स्थानीय संयोजक जसवंत सिंह बिष्ट ने कहा कि पहाड़ियों का वजूद पहाड़ी राज्य में खतरे में है। पहाड़ बचाने के लिए राजधानी पहाड़ी क्षेत्र में बननी जरूरी है, और कड़े कानून बनाए जाने चाहिए ताकि बाहरी लोग जमीन न खरीद सकें। उन्होंने यह भी कहा कि मूल निवास 1950 का अधिकार देकर यहां के लोगों को नौकरियों में पहला अधिकार मिलना चाहिए। इन मांगों को पूरा नहीं किया गया तो उत्तराखंड आंदोलन से भी बड़ा आंदोलन शुरू होगा।इस अवसर पर युवा नेता दान सिंह नेगी, दयाल सिंह पुंडीर, जगदीश ढोंडियाल, दीवानी राम, जसवंत सिंह बिष्ट, कुसुमलता गैडी, पूर्व सैनिक नयन सिंह नेगी सहित कई अन्य लोग मौजूद रहे।