अल्मोड़ा कारागार में धूमधाम से मनाया गया अगस्त क्रांति दिवस
अल्मोड़ा में ऐतिहासिक कारागार परिसर में आज अगस्त क्रांति दिवस बड़ी धूमधाम से मनाया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ नेहरू वार्ड में पंडित जवाहरलाल नेहरू की तस्वीर पर दीप प्रज्वलित कर और उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों द्वारा अगस्त क्रांति के वीर शहीदों को नमन कर किया गया। इस दौरान जेल परिसर में सभी ने नेहरू जी समेत सभी स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि दी। कार्यक्रम का संचालन गिरीश मल्होत्रा ने किया।
इस अवसर पर विधायक मनोज तिवारी ने कहा कि भारत छोड़ो आंदोलन की याद में अगस्त क्रांति दिवस प्रतिवर्ष मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि देश की आजादी के लिए महान स्वतंत्रता सेनानियों की कुर्बानी के सम्मान को बनाए रखने हेतु सभी नागरिकों को अपने-अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए और उनके आदर्शों का सम्मान करना चाहिए। तहसीलदार अल्मोड़ा, ज्योति धपवाल ने कहा कि भारत की स्वतंत्रता के लिए कई स्वतंत्रता सेनानियों ने बलिदान दिया है। 9 अगस्त का दिन उन सेनानियों को याद करने का दिन है जिन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन की अगस्त क्रांति में अपने प्राण न्यौछावर किए थे।
कार्यक्रम में ग्रेस हाई स्कूल के बच्चों ने सुंदर प्रस्तुतियां देकर सभी का मन मोह लिया। बच्चों ने देशभक्ति गीत, नृत्य, और भाषण के माध्यम से कार्यक्रम में समा बांध दिया। सभी वक्ताओं ने भारत छोड़ो आंदोलन के इतिहास और तत्कालीन परिस्थितियों के बारे में अपने विचार साझा किए और कहा कि अल्मोड़ा की जेल एक ऐतिहासिक जेल है, जिससे कई वीर स्वतंत्रता सेनानियों का इतिहास जुड़ा हुआ है।
इस दौरान कारागार में निरुद्ध व्यक्तियों ने भी सांस्कृतिक गीतों के माध्यम से समा बांध दिया। जेल अधीक्षक जयंत पांगती ने कहा कि आज परिस्थितियां पहले की तुलना में काफी बदल गई हैं। उन्होंने जेल के बारे में कहा कि यह बंदी गृह नहीं बल्कि सुधार गृह है, जहां अपराधियों को स्व-सुधार क लिए प्रेरित किया जाता है।
कार्यक्रम में निवर्तमान नगरपालिका अध्यक्ष प्रकाश चंद्र जोशी, वरिष्ठ प्राध्यापक बीडीएस नेगी, डे केयर संस्था के अध्यक्ष हेम चंद्र जोशी समेत अन्य पदाधिकारी और गणमान्य लोग मौजूद रहे।
ऐतिहासिक अल्मोड़ा जेल: स्वतंत्रता सेनानियों की यादों का है संगम
ऐतिहासिक अल्मोड़ा जेल, जहां जवाहरलाल नेहरू, बद्रीदत्त पांडे, हरगोविंद पंत, सैयद अली जहीर, खान अब्दुल गफ्फार खान और दुर्गा सिंह रावत समेत अन्य क्रांतिकारी नेता निरुद्ध रहे थे, स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह जेल आज भी देशभक्ति और त्याग की भावना का प्रतीक है।