अभी अभी
उत्तराखंड | नैनीतालहरिद्धारसोमेश्वररूद्रप्रयागरामनगरभतरोजखानबेरीनागबेतालघाटबागेश्वरपौड़ी गढ़वालपिथौरागढ़हरिद्वारहल्द्धानीदेहरादूनअल्मोड़ाताड़ीखेतचम्पावतऊधम सिंह नगरउत्तरकाशी
जॉब अलर्ट
देश | हिमांचल प्रदेश
दुनिया
Advertisement

अजब गजब मामला : महिला की बच्चेदानी से ही गायब था बच्चा, डिलीवरी करने पहुंचे डॉक्टर के भी उड़ गए होश, जानिए पूरा मामला

01:29 PM Sep 29, 2024 IST | editor1
Advertisement

भारत-पाकिस्तान की सीमा पर बसे बाड़मेर के एक प्राइवेट अस्पताल से हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है । जहां प्रसव के ऑपरेशन के दौरान डॉक्टरों की टीम के होश उड़ गए। जब उन्होंने ऑपरेशन के दौरान देखा कि महिला के बच्चेदानी में बच्चा ही नहीं है ऐसा केस सिर्फ करोड़ों में एक होता है।

Advertisement

Advertisement

दरअसल बाड़मेर के चौहटन तहसील के बींजासर निवासी लीला देवी की तबियत चौहटन के एक अस्पताल में बिगड़ने के बाद उसे जिला मुख्यालय के शिव अस्पताल लाया गया जहाँ ऑपरेशन के दौरान चिकित्सकीय टीम को एक्टोपिक प्रेगनेंसी का केस नजर आया जोकि करोड़ो में से एक में होता है, ऐसे में अस्पताल की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर मंजू बामनिया ने डॉक्टर स्नेहल कटुडिया और डॉक्टर हरीश सेजू की सहायता से से लीला का सफल ऑपरेशन किया है।

Advertisement

Advertisement

इस तरह के मामलों में माँ की जान बचना भी बेहद मुश्किल होता है बहुत ही सावधानी से इस ऑपरेशन को करके लीला की जान बचाई गई। अस्पताल प्रबंधक डॉक्टर मंजू बामनिया ने बताया कि अगर गर्भाशय के बाहर बच्चा ठहरता है और बच्चा 8 महीने तक जीवित रहता है, तो उसे एब्डोमिनल प्रेगनेंसी कहा जाता है।


इस तरह के मामले भी लाखों में एक होते है और इसी के एक अन्य प्रकार जिसे एक्टोपिक प्रेगनेंसी कहा जाता है, यह बेहद दुर्लभ और असामान्य प्रकार है। लीला का भी यही दुर्लभतम मामला था जिसे समय रहते डॉक्टरों ने बचा लिया है, हालांकि अस्पताल पहुँचने से पहले ही बच्चे की मौत हो चुकी थी लेकिन बाड़मेर के चिकित्सकों ने मेहनत कर माँ की जान को बचा लिया।

एब्डोमिनल प्रेगनेंसी जिसे पेट में गर्भावस्था भी कहा जाता है, एक बहुत ही दुर्लभ और खतरनाक प्रकार की एक्टोपिक प्रेगनेंसी होती है, जहां भ्रूण गर्भाशय के बाहर, पेट के अंदर के अंगों (जैसे आंतों, लीवर, या अन्य अंगों) पर विकसित होता है। यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब फेलोपियन ट्यूब में गर्भाधान के बाद भ्रूण गर्भाशय तक पहुंचने में असफल रहता है और पेट के किसी हिस्से से जुड़ जाता है।

Advertisement
Advertisement
Next Article