लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने पर विपक्ष के विरोध के बाद भी सरकार इस दिशा में आगे बढ़ा रही है। जिसको लेकर केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल सोमवार को लोकसभा में दो संशोधन विधेयक पेश करेंगे।जिसका पहला संशोधन विधेयक लोकसभा और राज्य विधानसभाओं का चुनाव एक साथ कराने और दूसरा विधेयक दिल्ली, जम्मू कश्मीर और पुडुचेरी विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने से जुड़ा होगा।पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शुक्रवार को कहा कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने की अवधारणा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की नहीं बल्कि देश के संस्थापकों की सोच थी। उन्होंने कहा कि तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी एक साथ चुनाव कराने के विचार के समर्थक थे और उनका मानना था कि इस योजना को या तो आम सहमति से या पूर्ण बहुमत वाली सरकार द्वारा क्रियान्वित किया जा सकता है। कोविंद की अध्यक्षता वाली 'एक देश, एक चुनाव' संबंधी उच्चस्तरीय समिति ने लोकसभा, विधानसभा और स्थानीय निकाय चुनाव एक साथ चरणबद्ध तरीके से कराने की सिफारिश की है।देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराने पर राजनीतिक दलों के बीच राय बंटी हुई है। कांग्रेस समेत विपक्ष की कई पार्टियां इसके विरोध में है। जबकि सरकार का कहना है कि इससे समय और लागत दोनों की बचत होगी और प्रशासन का काम अच्छे तरीके से होगा। सरकारें पांच साल तक पने विकास कार्यक्रमों पर ध्यान केंद्रित कर सकेंगी। जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने शुक्रवार को बताया कि'एक राष्ट्र एक चुनाव' देश के लिए फायदेमंद हो सकती है। बशर्ते कि यह कदम अच्छे इरादों से उठाया जाए।उन्होंने कुछ कानूनों का उदाहरण देते हुए कहा, 'कानून आतंकवाद पर अंकुश लगाने के लिए बनाए गए, लेकिन उनका इस्तेमाल एक खास समुदाय को निशाना बनाने के लिए किया गया।'किशोर लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने संबंधी विधेयकों को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बृहस्पतिवार को मिली मंजूरी के बारे मेंसे पत्रकारों के सवालों का जवाब दे रहे थे। इन विधेयकों को अब शीघ्र ही संसद में पेश किए जाने की संभावना है। चुनावी रणनीतिकार रह चुके किशोर ने कहा, 'मैं कई चुनावों में शामिल रहा हूं। मैंने देखा है कि हर साल देश का एक बड़ा हिस्सा राष्ट्रीय या राज्य स्तर के किसी न किसी चुनाव में शामिल रहता है।'