भारत में इस वर्ष मॉनसून तो अच्छा रहा, लेकिन फिर भी रसोई के मुख्य खाद्य पदार्थ- प्याज और आलू की कीमतें बढ़ने की संभावना जताई जा रही है। आलू-प्याज के उत्पादन को लेकर एक ऐसी रिपोर्ट सामने आई है, जिससे फिर से रसोई का खर्च बढ़ सकता है।2023-24 में भारत का बागवानी उत्पादन मामूली 0.65 फीसदी घटकर 353.19 मिलियन टन होने की संभावना है। जून में जारी 2023-24 के दूसरे एडवांस अनुमान में बागवानी फसलों का कुल उत्पादन 352.23 मिलियन टन होने का अनुमान लगाया गया था।प्रमुख क्षेत्रों में कम पैदावार के चलते प्याज और आलू का उत्पादन 242.44 लाख टन और 570.49 लाख टन होने की उम्मीद जताई जा रही है। अन्य सब्जियां जैसे बैंगन, रतालू और शिमला मिर्च का उत्पादन भी कम हो सकता है, जिससे इनकी कीमतों को नियंत्रित करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। यह खाद्य महंगाई को प्रभावित कर सकता है। भारत में अगस्त में खुदरा महंगाई 3.65% पर पहुंच गई, जो जुलाई में 3.6% थी।कुल सब्जियों का उत्पादन 205.80 लाख टन होने की उम्मीद है। अनुमानों से पता चला है कि टमाटर, पत्तागोभी, फूलगोभी, टैपिओका, लौकी, कद्दू, गाजर, खीरे, करेला, परवल और भिंडी के उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।वहीं आम, केले और अन्य फलों के कारण फलों का उत्पादन 2.29 फीसदी बढ़कर 112.73 मिलियन टन तक पहुंचने की उम्मीद है। हालांकि सेब, संतरे, अमरूद और अनार में गिरावट देखने की उम्मीद है लेकिन फलों के निर्यात में वृद्धि पर इसका असर पड़ने की संभावना नहीं है, जो चावल और गेहूं जैसे अनाज पर लंबे समय से प्रतिबंध के कारण निर्यात मात्रा में बने अंतर को भरने में मदद कर रहा है। सरकार ने पिछले वर्ष के अंतिम अनुमान की तुलना में शहद, फूल, वृक्षारोपण फसलों, मसालों और सुगंधित और औषधीय पौधों के उत्पादन में वृद्धि दर्ज करने का भी अनुमान लगाया है। वित्त वर्ष 2024 में भारत का ताजे फल और सब्जियों का निर्यात 14% बढ़कर 3.65 बिलियन डॉलर हो गया।