'कुगत': एक फिल्म जो पूछती है सवाल, कब मिलेंगी पहाड़ों को मूलभूत सुविधाएँ?
कुमाऊनी फिल्म ‘कुगत’ ने जब से बड़े पर्दे पर दस्तक दी है, इसे दर्शकों का जबरदस्त प्यार मिल रहा है। फिल्म में उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों की खूबसूरती को दिखाने के साथ-साथ वहां की कठिन परिस्थितियों को बखूबी फिल्माया गया है। फिल्म में दिखाया गया है कि आज भी कई गांव सड़क, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी जरूरी सुविधाओं से वंचित हैं, और वहाँ के लोगों का जीवन कितना संघर्षमय है।
'कुगत' में अल्मोड़ा जिले के कोसी से सोमेश्वर तक के खूबसूरत स्थानों पर फिल्मांकन किया गया है, जिससे उत्तराखंड की प्राकृतिक सुंदरता भी दर्शकों को मंत्रमुग्ध करती है। हालांकि, ये फिल्म सिर्फ सुंदरता तक सीमित नहीं है, बल्कि यहां के लोगों की समस्याओं को बारीकी से दिखाती है और ये सवाल भी छोड़ती है कि कब इन गांवों को बुनियादी सेवाएं मिलेंगी?
पूरी फिल्म यहां देखें
फिल्म का निर्देशन किया है अल्मोड़ा के प्रसिद्ध रंगकर्मी भास्कर जोशी ने, जिन्होंने अपनी मेहनत से कहानी को जीवंत बना दिया।गौरतलब है कि भास्कर जोशी बलि प्रथा जैसी कुप्रथा को लेकर बलि वेदना नाम से एक कुमाउंनी फिल्म का निर्माण कर चुके है,इसमें बलि की वेदना को बड़े ही मार्मिक अंदाज में दिखाया गया था,यह फिल्म काफी चर्चित रही थी।
कुगत की पटकथा देवेंद्र भट्ट द्वारा लिखी गई है, जो कि विहान टीम के अध्यक्ष हैं। इस फिल्म के कुमाऊनी रूपांतरण का जिम्मा उठाया है एसएसजे परिसर के प्रोफेसर डॉ. ललित जोशी ने।
कलाकारों की बात करें तो फिल्म में ममता वाणी भट्ट, ललित मोहन बिष्ट, दयानंद कठैत, निशा मेहरा और तनवी भंडारी जैसे कई मंझे हुए कलाकारों ने अपने अभिनय से दर्शकों का दिल जीत लिया है। इनके अलावा, कमल मेहता, शिवराज नयाल, दिव्या जोशी जैसे कलाकारों ने भी फिल्म को मजबूती दी है।
फिल्म की परिकल्पना ममता वाणी भट्ट ने की है, जबकि निर्माता मनोज चम्याल हैं। फिल्म का छायांकन मोहित पांडे ने किया है और संपादन जगदीश तिवारी ने। फिल्म के संगीत की जिम्मेदारी ललित मोहन बिष्ट ने निभाई है।
इस फिल्म को बनाने में अनूप नेगी और शिवराज नयाल का विशेष सहयोग रहा है। 'कुगत' दर्शकों के बीच अपनी खास जगह बना चुकी है और पहाड़ की जिंदगी की अनकही कहानियों को बड़े पर्दे पर लाकर सभी के दिलों को छू रही है।