बच्चों के इलाज के लिए राष्ट्रीय राजधानी के जाने-माने अस्पताल में 4000 से अधिक बच्चों की मौत पर अब हड़कंप मच गया है। आपको बता दे कि दिल्ली के सबसे बड़े बच्चों के अस्पताल गीता कॉलोनी स्थित नेहरू चाचा अस्पताल में पिछले 5 वर्षों में 4000 से अधिक बच्चों की मौत के मामले सामने आए हैं जिन बच्चों की मौत हुई है उनकी उम्र 5 वर्ष से कम की थी और सबसे अधिक बच्चे 2019 में मरे हैं।आरटीआई के जरिए बच्चों की मौत का यह आंकड़ा सामने आया है जिसके बाद अब बवाल मच गया है। निमोनिया,सेप्टिक शॉक और सेप्सिस समेत कई अन्य बीमारियों से अब तक 4095 बच्चों की मौत हो चुकी है। इस मामले में अभी तक अस्पताल में कोई भी रिएक्शन नहीं दिया है।आरटीआई कार्यकर्ता और नोएडा निवासी अमित गुप्ता ने बताया कि विवेक विहार स्थित बेबी केयर न्यू बॉर्न अस्पताल में 26 मई की रात आग में झुलसने और दम घुटने से आठ बच्चों की मौत हुई थी। इस खबर को सुनने के बाद वह काफी हैरान हो गए उनके मन में सवाल उठाकर आखिर लोग बच्चों को सरकारी की जगह निजी अस्पताल में क्यों लेकर जा रहे हैं ?उन्होंने जून में एक आरटीआई स्वास्थ्य सेवा निदेशालय में इस बारे में पता लगाया तो पता चला कि दिल्ली सरकार के अस्पतालों में पिछले 5 वर्षों में 5 वर्ष की कम आयु के कितने मरीज की मौत हुई है और उनकी क्या वजह है?अमित गुप्ता ने कहा कि आंकड़े चौकाने वाले हैं। चाचा नेहरू अस्पताल को बच्चों का सुपरस्पेशलिटी अस्पताल कहा जाता है। इसमें 5 वर्ष से कम आयु के तकरीबन 4000 बच्चों की मौत हो चुकी है और इससे यह पता चलता है कि यहां पर बच्चों का इलाज सही तरीके से नहीं हो रहा है।सरकार का यह दावा भी झूठा साबित हो रहा है कि अधिकतर बजट स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च किया जाता है। वर्ष 2020 और 2021 में देश कोरोना महामारी से जूझ रहा था और इस द्वारा अस्पताल में 2020 में 886 वह 2021 में 626 मौतें हुई थी। यह भी बताया जा रहा है कि इन वर्षों में जिन बच्चों की मौत हुई उनका इलाज ठीक से नहीं मिला था।