अदालत की कार्यवाही शुरू होने ही वाली थी, वकील जज के समक्ष अपना पक्ष रखने ही वाले थे। आरोपी भी कटघरे में पहुंच खड़ा हो चुका था।।तभी एक महिला कोर्टरूम में पहुंची और आरोपी पर गोलियों की बरसात कर दी। इस हमले में आरोपी की मौत भी हो गई लेकिन इसके बाद भी महिला ने वहां से भागने की भी कोशिश तक नहीं की। उसे पुलिसवालों ने पकड़ लिया। महिला के चेहरे पर एक असीम शांति थी।बता दें कि इस महिला का नाम था मैरिएन बाकमीयर, ये जर्मनी के ल्यूबेक निवासी थी।16 साल की उम्र में ही मैरिएन बाकमीयर प्रेग्नेंट हो गई थी और दो बच्चों को जन्म दिया। बच्चों को रखने और पालन पोषण के लिए पैसा नहीं था तो बच्चों को किसी को दे दिया। इसके बाद 19 साल की उम्र में एक शख्स से उनकी मुलाकात हुई और दोनों ने शादी की। शादी के बाद एक बेटी हुई। इसका नाम ऐना रखा गया। इसके बाद पति से तलाक हो गया तो ऐना ही उसकी जिंदगी के लिए सबकुछ थी।मैरिएन अकेली थी, वह काम पर भी जाती थी। ऐसे में बेटी ऐना को अक्सर घर में अकेला रहना पड़ता था। वह सात साल की थी, अक्सर पड़ोस के घर में खेलने जाती थी लेकिन एक दिन जब वह गई तो वह वापस ही नहीं आई। ये तारिख थी 7 मई 1980। जब मैरिएन लौट कर आई तो ऐना घर में नहीं मिली। तलाश के बाद भी कुछ पता नहीं चला। जिस पर उन्होंने गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई। पुलिस भी तलाशती रही लेकिन कुछ पता नहीं चला।इसी बीच पुलिस को एक शख्स ने जानकारी दी और एक शख्स पर शक जताया। यह शख्स पहले यौन शोषण के मामले में जेल जा चुका था। पुलिस ने इस शख्स को उठाया और पूछताछ की। जिसमें उसने बताया कि उसने बच्ची से दुष्कर्म किया और उसकी हत्या कर शव को नहर में फेंक दिया है।मामला कोर्ट में गया लेकिन यहां वह बदल गया। खुद को नपुंसक बताने लगा। कई बार कोर्ट में सुनवाई हुई और हर बार ऐना की मां मैरिएन वहां जाती थीं। मैरिएन को लगा कि आरोपी कोर्ट को गुमराह कर रहा है और वह बच निकल सकता है। ऐसे में 6 मार्च, 1981 की तारीख को मैरिएन इंसाफ के लिए खुद को तैयार कर कोर्ट रूम में पहुंच गईं। इसके बाद कोर्ट रूम थर्रा गया।मैरिएन एक दशमलव 22 कैलिबर की बेरेटा पिस्टल लेकर कोर्ट रूम में पहुंची और आरोपी क्लॉस ग्रैबोस्की पर गोलियां बरसा दी। इस फायरिंग में उसने कुल आठ गोलियां चलाई थी। आरोपी ग्रैबोस्की वहीं मर गया लेकिन कोर्ट रूम में हत्या करने के बाद मैरिएन पर केस दर्ज किया गया और उसे छह साल की सजा सुनाई गई हालांकि तीन साल बाद उसे रिहा कर दिया गया।इस घटना के बाद मैरिएन को आम लोगों का खूब समर्थन मिला। बड़ी संख्या में लोग उसके समर्थन में एकत्रित हुए थे। उसे 'हीरो' बता रहे थे, जिसने अपनी बच्ची के साथ दुष्कर्म और हत्या करने वालों को खुद ही सजा दे दी। जेल से रिहा होने के बाद मैरिएन देश छोड़कर चली गई। दूसरी शादी कर ली और 46 साल की उम्र में कैंसर से उसकी मौत हो गई। बेटी के बगल में उसे भी दफनाया गया।ये जर्मनी की बहादुर महिला Marianne Bachmeier हैं, जिन्होंने अपनी 7 साल की मासूम बच्ची के बलात्कारी को कोर्ट में गोली मारी थी।जिसके बाद इनको 6 साल की सज़ा सुनाई गई थी। pic.twitter.com/59dJkTKd0g— Rimsha Fatima (@RimzFatima) August 18, 2024