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Almora- प्लीजेंट वैली फाउंडेशन की संपत्तियां होगी ज़ब्त,उपपा ने किया स्वागत

09:54 AM Aug 19, 2024 IST | Newsdesk Uttranews
almora  प्लीजेंट वैली फाउंडेशन की संपत्तियां होगी ज़ब्त उपपा ने किया स्वागत
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प्लीजेंट वैली फाउंडेशन (डांडा कांडा हवालबाग) की सभी परिसंपत्तियों को सरकार के पक्ष में ज़ब्त किया जाएगा। शासकीय अधिवक्ता जुगल तिवारी ने बताया कि उप जिला अधिकारी अल्मोड़ा जयवर्धन शर्मा ने प्लीजेंट वैली की सभी परिसंपतियों को सरकार के पक्ष में जब्त करने का आदेश जारी किया है। एसएडीएम के फैसले का स्वागत करते हुए उपपा के केंद्रीय अध्यक्ष पीसी तिवारी ने इस निर्णय को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि उनकी पार्टी लंबे समय से इस संस्था की मनमानी और अनियमितताओं के खिलाफ आवाज़ उठाती आ रही है।

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पीसी तिवारी ने कहा कि उपपा ने 8 सितंबर 2010 को तत्कालीन जिलाधिकारी अल्मोड़ा को प्लीजेंट वैली फाउंडेशन द्वारा गैर कानूनी रूप से जमीनों पर कब्जा करने की उच्च स्तरीय जांच की मांग की थी। इस शिकायत के बाद जिलाधिकारी ने एक पांच सदस्यीय समिति का गठन किया, जिसमें अपर जिलाधिकारी राजीव साह की अध्यक्षता में प्रभागीय वन अधिकारी, अधिशासी अभियंता लोक निर्माण विभाग, परगना अधिकारी, और तहसीलदार अल्मोड़ा शामिल थे। इस समिति ने 12 दिसंबर 2011 को अपनी जांच रिपोर्ट पेश की, जिसमें प्लीजेंट वैली फाउंडेशन को सरकारी और सार्वजनिक जमीनों पर अवैध कब्जा कर भवन निर्माण करने का दोषी पाया गया।

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पीसी तिवारी ने कहा कि समिति की जांच में आशा यादव पर धोखाधड़ी से मैणी (हवालबाग) में 100 नाली जमीन खरीदने की पुष्टि हुई। इसके बाद तहसीलदार अल्मोड़ा ने आशा यादव और एक अन्य व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया, और उक्त जमीन को भी सरकार के पक्ष में ज़ब्त कर लिया।

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उपपा अध्यक्ष ने कहा कि इस मामले में जांच समिति और जिला अधिकारियों की संस्तुति के बावजूद जमीन को ज़ब्त करने में 14 साल का लंबा समय लग गया। उपपा अध्यक्ष ने आरोप लगाते हुए कहा कि इस दौरान प्लीजेंट वैली फाउंडेशन के पीछे छिपे प्रभावशाली नौकरशाहों ने स्थानीय ग्रामीणों और उनके खिलाफ उठने वाली आवाज़ों को दबाने की कोशिश की।आरोप लगाया कि उन्होंने सरकारी तंत्र का दुरुपयोग कर ग्रामीणों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को प्रताड़ित किया।

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उपपा अध्यक्ष ने कहा कि इस संघर्ष में विभिन्न न्यायिक प्रक्रियाओं के दौरान उपपा नेताओं, पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, पुलिस और न्यायिक अधिकारियों के खिलाफ भी कई झूठी शिकायतें की गई,लेकिन अंत में जीत सच की ही हुई।

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